tag:blogger.com,1999:blog-11470354.post114353025918281504..comments2023-09-11T11:20:06.845-04:00Comments on मानसी: लैदर बिफ़ोर यू शेवManoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी http://www.blogger.com/profile/13192804315253355418noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-11470354.post-1143912011288959842006-04-01T12:20:00.000-05:002006-04-01T12:20:00.000-05:00वाकई असरदार युक्ति है ये !:)वाकई असरदार युक्ति है ये !:)Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11470354.post-1143595015613387952006-03-28T20:16:00.000-05:002006-03-28T20:16:00.000-05:00'लैदर बिफोर यू शेव 'का अंदाज बिना दाढ़ी वाली महिला...'लैदर बिफोर यू शेव 'का अंदाज बिना दाढ़ी वाली महिलाओं को पूरी तरह समझ में नहीं आयेगा। फिर कहा भी गया है - निंदक नियरे राखिये। लेकिन कहा तो यह भी गया है-सच बोलो,प्रिय बोलो लेकिन अप्रिय सच मत बोलो।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11470354.post-1143561683905081582006-03-28T11:01:00.000-05:002006-03-28T11:01:00.000-05:00और सही कहा है तारीफ और कमी के क्रम के बारे में आपन...और सही कहा है तारीफ और कमी के क्रम के बारे में आपने, वैसे क्या ये पूछा जा सकता है - आप पहले अच्छी खबर सुनना पसंद करेंगे या बुरी।<BR/><BR/>लोगों को खुश रखना है तो उनका ईगो सहलाना पढ़ता है और इस ईगो को सहलाने को ही मक्खनबाजी कहते हैं, आजकल ईगो सहलाने वाले लोग बहुतायत से पाये जाते हैं। <BR/><BR/>जैसे, पोथी पढ़ पढ़ जग ...पंडित भया ना कोई कहते हैं उसी तरह से डेल कारनेगी पढ़कर भी अभी तक किसी का ईगो सहलाना नही सीख पाये।Tarunhttps://www.blogger.com/profile/00455857004125328718noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11470354.post-1143561014006919832006-03-28T10:50:00.000-05:002006-03-28T10:50:00.000-05:00आपने बिल्कुल सही कहा कि तारीफ़ करने के बाद ही कमी ...आपने बिल्कुल सही कहा कि तारीफ़ करने के बाद ही कमी इंगित करनी चाहिए। यह मानवीय स्वभाव है कि आलोचना हमेशा बुरी लगती है, चाहे वह भले के लिए ही क्यों न हो। आलोचना का सकारात्मक प्रतिफल पाने के लिए पहले प्रशंसा करना काफ़ी व्यावहारिक तरीक़ा है।Pratik Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/02460951237076464140noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11470354.post-1143546586321130422006-03-28T06:49:00.000-05:002006-03-28T06:49:00.000-05:00मख्खनबाजी पर, एक और किताब 'You're Too Kind - a bri...मख्खनबाजी पर, एक और किताब 'You're Too Kind - a brief history of flattery' by Richard Stengel के बारे में सकेंत करना चहूगां| यह किताब मख्खनबाजी पर एक शोधकार्य है| यह किताब पढने योग्य है, खास तरह से अन्त के पेज जो बताते हैं कि मख्खन कैसे लगाना चाहिये तथा यदि कोई मख्खन लगा रहा हो तो उसे किसे स्वीकार करना चाहिये|उन्मुक्तhttps://www.blogger.com/profile/13491328318886369401noreply@blogger.com