tag:blogger.com,1999:blog-11470354.post2903992898944953779..comments2023-09-11T11:20:06.845-04:00Comments on मानसी: शाम - एक नज़ाराManoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी http://www.blogger.com/profile/13192804315253355418noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-11470354.post-16894179597965035552007-06-08T15:45:00.000-04:002007-06-08T15:45:00.000-04:00Hey enjoyed ur blogs... should read more of them.....Hey enjoyed ur blogs... should read more of them..just read couple of themKooking_Kurry your Stylehttps://www.blogger.com/profile/01963366522386929929noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11470354.post-76466390542023251452007-02-22T09:29:00.000-05:002007-02-22T09:29:00.000-05:00अहा सुंदर रचना. वो बूंद लाख तूफ़ानों के बीच भी अपन...अहा सुंदर रचना. वो बूंद लाख तूफ़ानों के बीच भी अपनी मौजूदगी का अहसास कराती है. मैं जहां तक समझा हूं तो यही कहूंगा कि वो इक बूंद ही दिल मे बीती यादों का सागर उठाने का माद्दा रखती हैं.. ऐसी बारिशों में अकसर वो बारिश याद आ ही जाती है.. कभी ये बूंद उसी बारिश का हिस्सा थी जो ना चाहते हुए भी जिंदगी का हिस्सा बनी हुई है.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11470354.post-28783573643431522882007-02-20T09:19:00.000-05:002007-02-20T09:19:00.000-05:00मनोशी,आपकी यह कवितायें बहुत अच्छी लगी.सैलाब के पहल...मनोशी,<BR/>आपकी यह कवितायें बहुत अच्छी लगी.सैलाब के पहले और बाद में अजीब सी शांती है, और इन दोनों के बिच तुफ़ानी सैलाब.....मन के भावों को खूब अच्छी तरह ,बिना कुछ ज़्यादा कहे व्यक्त किया है.सच है कि चिंदियां हर सैलाब के बाद रह जाती हैं.यादोण को खूब अच्छी तरह पेश किया है.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09418761569915810923noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11470354.post-10669352592105296362007-02-19T19:18:00.000-05:002007-02-19T19:18:00.000-05:00मुझे भी पहली वाली कविता ज्यादा अच्छी लगी ..काफ़ी 'ग...मुझे भी पहली वाली कविता ज्यादा अच्छी लगी ..<BR/>काफ़ी 'गुलज़ारिश' सी है ......अनूप भार्गवhttps://www.blogger.com/profile/02237716951833306789noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11470354.post-50738879095264405222007-02-19T08:13:00.000-05:002007-02-19T08:13:00.000-05:00मानुषी बहुत सुन्दर! पहली वाली बहुत अच्छी लगी.मानुषी बहुत सुन्दर! पहली वाली बहुत अच्छी लगी.रजनी भार्गवhttps://www.blogger.com/profile/08154642819162396396noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11470354.post-24352038197917000672007-02-19T01:56:00.000-05:002007-02-19T01:56:00.000-05:00बढ़िया मानसी जी, सिलसिला चाहे बून्दो का हो या यादो...बढ़िया मानसी जी, सिलसिला चाहे बून्दो का हो या यादों का, एक बार शुरु हो जाए तो बड़ी मुश्किल से रुकता है, इसी तरह तूफान चाहे समुद्र का हो या ज़िंदगी का, अचानक ही आता है लेकिन अपने पीछे निशान छोड़ जाता है।<BR/>भावाभिव्यक्ति में सफ़ल है आपAnonymousnoreply@blogger.com