tag:blogger.com,1999:blog-11470354.post3289644417722190251..comments2023-09-11T11:20:06.845-04:00Comments on मानसी: चिट्ठाजगत और अनजाने दोस्तManoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी http://www.blogger.com/profile/13192804315253355418noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-11470354.post-16671558362415022672007-05-25T08:09:00.000-04:002007-05-25T08:09:00.000-04:00Mai abhi 18 saal ka hu aur mujhe blogging karne ka...Mai abhi 18 saal ka hu aur mujhe blogging karne ka bahut shauk hai, aap logo ka aashirwaad chahuga aur puri ummed karuga ki aap log aashirwaad pradaan bhi karege, bas is chote se dimaak mein jo bhi aata hai turant likh dalta hu.... aasha karuga ki aap log meri sahayta awashya karege. dhanyawaadtravel30https://www.blogger.com/profile/00114463185726816112noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11470354.post-37403625600107194672007-02-24T09:32:00.000-05:002007-02-24T09:32:00.000-05:00आपके अनुभवों की संश्लिष्टता के कायल हम तबसे हैं ज...आपके अनुभवों की संश्लिष्टता के कायल हम तबसे हैं जब ब्लॉगिंग या उस पर शोध शुरू नहीं किया था। आपको कुछ और विचार साझा करने होंगे। आपको टैग किया गया है। <A HREF="http://vadsamvad.blogspot.com/2007/02/blog-post_24.html" REL="nofollow">यहां देखें </A>Neelimahttps://www.blogger.com/profile/14606208778450390430noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11470354.post-73782107355192883572007-02-24T08:28:00.000-05:002007-02-24T08:28:00.000-05:00बहुत गजब की उपलब्धियाँ रहीं. वाह वाह. हमारी भी इसी...बहुत गजब की उपलब्धियाँ रहीं. वाह वाह. हमारी भी इसी ब्लाग के चलते आपसे मुलाकात हो गई, यह तो हमारी उपलब्धियों की सूची में है. :)<BR/>बढ़िया लगा पढ़कर लेखा जोखा.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11470354.post-954032243461058862007-02-23T21:13:00.000-05:002007-02-23T21:13:00.000-05:00अगर कोई मुझसे पूछे कि हिंदी ब्लाग जगत का सबसे खतरन...अगर कोई मुझसे पूछे कि हिंदी ब्लाग जगत का सबसे खतरनाक ब्लागर कौन है तो हम कहेंगे- मानोसी। :) महीनो बाद जब एक लेख लिखा इन्होंने और वो नारद पर नहीं आया तो हमसे कहा अब तो जीतू की खैर नहीं।:) इनके अनूपदा दुनिया में सबसे अच्छे, इनके देवर दुनिया में सबसे प्यारे इनके ये सबसे लवली, इनके वो सिंपली अमेजिंग। मतलब दुनिया में जो कुछ सबसे बेहतरीन है उसपर मानसी का कब्जा है! अजब तानाशाही है भाई! इस बेहतरीन लेख पर कमेंट की कोशिश करते-करते कल से हार गये हुआ नहीं और अभी-अभी धमकी -आपका कमेंट अभी तक नहीं आया। बहरहाल बधाई तमाम उपलब्धियों के लिये। कामना है कि खूब लिखो और इसी तरह लोगों पर अपनी दादागिरी चलाती रहो चाहे वो तुम्हारे अनूपदा हों, स्वामी हों, समीरलाल हों या और कोई बेचारा........।:)<BR/>शुभकामनायें!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11470354.post-24626791013413877782007-02-23T19:42:00.000-05:002007-02-23T19:42:00.000-05:00मानोषी ! अगर यूँ कहें तो कैसा लगेगा ?तुम्हें जानना...मानोषी ! <BR/>अगर यूँ कहें तो कैसा लगेगा ?<BR/>तुम्हें जानना और तुम से मिलना इस 'कम्बख्त ब्लौगिंग' की सब से अच्छी उपलब्धि रही ...<BR/><BR/>अनूप (दा) और रजनी भाभीअनूप भार्गवhttps://www.blogger.com/profile/02237716951833306789noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11470354.post-17943451565997301722007-02-23T16:08:00.000-05:002007-02-23T16:08:00.000-05:00हाँ प्रत्यक्षा। आप तो प्रेरणा रहीं हैं मेरी कहानी ...हाँ प्रत्यक्षा। आप तो प्रेरणा रहीं हैं मेरी कहानी लेखन की (एक ही लिखी है अब तक वैसे)<BR/><BR/>उन्मुक्त, वो दूर होते हैं इसी लिये दूर जाते हैं। अच्छे दोस्त हमेशा करीब ही होते हैं।<BR/><BR/>सृजन शिल्पी, मुझे पता नहीं था कि आपने मेरे लेख से प्रेरित हो कर ब्लागिंग शुरु की। यकीं जानिये, मैं आपके लेख पढ़ती हूँ। अब की बार आलस छोड़ टिप्पणी भी करूँगी।<BR/><BR/>हाँ आशीष, तुमसे कभी वैसे बात तो नहीं हुई है, ई मेल और तुम्हारे ब्लाग के ज़रिये तुम्हें जानती हूँ। मेरा एक ईमेल लिखना बाक़ी है तुम्हें, वक्त मिलते ही लिखूँगी।<BR/><BR/>शिरीश सच कहा तुमने।<BR/><BR/>संजय शुक्रिया।<BR/><BR/>हाँ, स्वामी। मेरा ब्लाग अभी भी नहीं खुल रहा है IE6 के साथ। तुम्हारे कहने पर firefox से ही ये ब्लाग पोस्ट हुआ है। जल्दी हल निकालो। :-)<BR/><BR/>हाँ रचना, आप देखेंगी कि एक दिन बहुत कुछ जान चुकी हैं। लिखते रहिये।<BR/><BR/>राकेश जी आप भी उन दोस्तों में हैं मेरे, बस फ़र्क इतना कि आपसे कविता लेखन की वजह से संपर्क हुआ। आपसे शीघ्र मिलने की भी उम्मीद है।Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी https://www.blogger.com/profile/13192804315253355418noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11470354.post-28071276594105442882007-02-23T16:04:00.000-05:002007-02-23T16:04:00.000-05:00This comment has been removed by the author.Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी https://www.blogger.com/profile/13192804315253355418noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11470354.post-38601305516691926542007-02-23T09:10:00.000-05:002007-02-23T09:10:00.000-05:00द्य्ष्यंत की पंक्तियां थोड़े फेर बदल सेचलो ये यादगा...द्य्ष्यंत की पंक्तियां थोड़े फेर बदल से<BR/><BR/>चलो ये यादगारों की अंधेरी कोठरी खोली<BR/>मिले जो चार छह चेहरे, वो पहचाने लगे मुझकोराकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11470354.post-73609310081979426642007-02-23T02:35:00.000-05:002007-02-23T02:35:00.000-05:00चिट्ठाजगत और चिट्ठाकारी के बारे मे मेरे भी कुछ ऐसे...चिट्ठाजगत और चिट्ठाकारी के बारे मे मेरे भी कुछ ऐसे ही अहसास हैं, मुझे तो कुछ भी पता नही था (अब भी नही है!)बस ऐसे ही अनजान मित्रों से पूछती चली गई और गिरते-पडते चलती जा रही हूँ!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11470354.post-37884633237803217372007-02-23T01:30:00.000-05:002007-02-23T01:30:00.000-05:00चिट्ठाकारी नें सचमुच अजब मित्रताएं करने की राह सुल...चिट्ठाकारी नें सचमुच अजब मित्रताएं करने की राह सुलभ की हैं. <BR/><BR/>जीतू हिंदिनी साईट सेट करवाने कुवैत से दो रात चैट पर साथ रहे थे. यही व्यव्हारिक तत्परता हमारे समूह की सबसे बडी खासियत है!eSwamihttps://www.blogger.com/profile/04980783743177314217noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11470354.post-49670470417197655782007-02-23T01:21:00.000-05:002007-02-23T01:21:00.000-05:00आप भाग्यशाली हैं जो ऐसे दोस्त पा सकी.आप भाग्यशाली हैं जो ऐसे दोस्त पा सकी.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11470354.post-47943505178979029702007-02-23T01:07:00.000-05:002007-02-23T01:07:00.000-05:00अजी इस दुनिया की यही तो खासियत है जो एक बार यहाँ आ...अजी इस दुनिया की यही तो खासियत है जो एक बार यहाँ आया यहीं का होकर रह गया। जाना चाहे तो भी जा नहीं सकता। कुछ लोग महाव्यस्त होने से लिखना छोड़ भले ही गए पर चिट्ठाजगत को भूले नहीं। गाहे बगाहे आ ही जाते हैं पढ़ने।ePandithttps://www.blogger.com/profile/15264688244278112743noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11470354.post-75418432763574325782007-02-23T01:02:00.000-05:002007-02-23T01:02:00.000-05:00मानोशी दी,ये क्या ? बड़ा ही सेंटीमेंटल लेख लिख दिया...मानोशी दी,<BR/><BR/>ये क्या ? बड़ा ही सेंटीमेंटल लेख लिख दिया आपने !<BR/>लेकिन ये तो सच है कि हिन्दी चिठठाजगत एक विश्व परिवार बन गया है। सब एक दूसरे से कितने जुडे हुये है !<BR/><BR/>आशीषAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11470354.post-31716158702180374892007-02-23T00:55:00.000-05:002007-02-23T00:55:00.000-05:00चिट्ठा लेखन की दूसरी वर्षगाँठ पर आपको हार्दिक बधाई...चिट्ठा लेखन की दूसरी वर्षगाँठ पर आपको हार्दिक बधाई! <BR/>चिट्ठा जगत में मैंने सबसे पहली टिप्पणी आपके ही चिट्ठे पर की थी और यह आपके लेखन की प्रेरणा ही थी कि टिप्पणी करने के कुछ ही मिनट बाद मेरा चिट्ठा भी अस्तित्व में आ चुका था। इसलिए चिट्ठाकारी के क्षेत्र में मेरे प्रवेश का सारा श्रेय आपको ही जाता है, भले ही मेरे चिट्ठे को आपकी पहली टिप्पणी मिलने का इंतजार आज तक है।Srijan Shilpihttps://www.blogger.com/profile/09572653139404767167noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11470354.post-88656520259446449422007-02-23T00:12:00.000-05:002007-02-23T00:12:00.000-05:00सच चिट्ठा जगत हमें अनजाने लोगो से मिलाता है उनके प...सच चिट्ठा जगत हमें अनजाने लोगो से मिलाता है उनके पास लाता है। न मिलते हुऐ भी हम बहुतों को अपने करीब पाते हैं पर यह भी सच है कि कुछ से दूर चले जाते हैं।उन्मुक्तhttps://www.blogger.com/profile/13491328318886369401noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11470354.post-70658634226387282542007-02-23T00:02:00.000-05:002007-02-23T00:02:00.000-05:00बिलकुल सही लिखा मानसी । बिना देखे बिना मिले भी कैस...बिलकुल सही लिखा मानसी । बिना देखे बिना मिले भी कैसे अनजाने रिश्ते बन जाते हैं । इंतरनेट के अदृश्य जाल में बँधे हमसब । <BR/>लेकिन तुम लिखा करो, खूब लिखा करो । हमें इंतज़ार रहता है पढने काPratyakshahttps://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.com