tag:blogger.com,1999:blog-11470354.post8435805083977260733..comments2023-09-11T11:20:06.845-04:00Comments on मानसी: ग़ज़ल- ये जहाँ मेरा नहीं हैManoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी http://www.blogger.com/profile/13192804315253355418noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-11470354.post-3083130428031103842008-07-26T23:58:00.000-04:002008-07-26T23:58:00.000-04:00गहरी मानवीय भावनाओं के साथ बहुत सुंदर कविता लिखी ह...गहरी मानवीय भावनाओं के साथ बहुत सुंदर कविता लिखी है !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11470354.post-82256520165384937202008-07-26T15:16:00.000-04:002008-07-26T15:16:00.000-04:00वाह! बहरे रमल सालिम मुरब्बा की बेहतरीन ग़ज़ल है जो...वाह! बहरे रमल सालिम मुरब्बा की बेहतरीन ग़ज़ल है जो मिसाल के तौर पर इस्तेमाल की जा सकती है। सारे ही अशा'र बहुत अच्छे लगे। <BR/> <BR/>मेरे घर के आइने में<BR/>अक्स क्यों मेरा नहीं है<BR/>बहुत ही संवेदना है इस शेर में! <BR/><BR/>हाँ, एक शिकायत भी है कि इतनी अच्छी ग़ज़ल लिखती हो लेकिन रफ़तार कम है। <BR/>लिखती रहो।<BR/>महावीर शर्माAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11470354.post-45228329209963554162008-07-24T14:03:00.000-04:002008-07-24T14:03:00.000-04:00हां जल्दी जल्दी लिखना चाहिये, जिससे हम लोग जल्दी ज...हां जल्दी जल्दी लिखना चाहिये, जिससे हम लोग जल्दी जल्दी पढ़ सकें।RC Mishrahttps://www.blogger.com/profile/06785139648164218509noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11470354.post-16463361499788886712008-07-21T14:27:00.000-04:002008-07-21T14:27:00.000-04:00अच्छी है गजल। लिखतीं रहें। इत्ते दिन में न लिखा कर...अच्छी है गजल। लिखतीं रहें। इत्ते दिन में न लिखा करें। :)अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11470354.post-16184354446523873102008-07-21T10:26:00.000-04:002008-07-21T10:26:00.000-04:00मैं भला क्यों जाऊँ मंदिरग़म ने आ घेरा नहीं हैएक ढे...मैं भला क्यों जाऊँ मंदिर<BR/>ग़म ने आ घेरा नहीं है<BR/><BR/>एक ढेला मिट्टी का भी<BR/>मेरा या तेरा नहीं है<BR/><BR/>bahut khoob......bahut badhiya....डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11470354.post-69681659625120507342008-07-21T01:16:00.000-04:002008-07-21T01:16:00.000-04:00बहुत बढिया लिखा है-एक ढेला मिट्टी का भीमेरा या तेर...बहुत बढिया लिखा है-<BR/><BR/>एक ढेला मिट्टी का भी<BR/>मेरा या तेरा नहीं हैपरमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.com