Wednesday, October 26, 2005

कुंडली मिलन की खास बातें--(आगे और)...



पुरुष






स्त्री







भाग ८ (भाग ७ यहां देखने के लिये यहं क्लिक करें)

आज इस लेख को खतम कर देने का प्रयास करूंगी। मंगल-शुक्र, शनि-मंगल,राहु-मंगल के बाद अब हम देखेंगे कि मन या आत्मा का मिलन कैसे देखा जायेगा। ये मिलान सिर्फ़ दंपतियों के लिये ही नहीं बल्कि दोस्तों के लिये भी आज़माया जा सकता है।

देखें कि एक पत्रिका का सूर्य दूसरे पत्रिका के चंद्र से क्या रिश्ता बनाता है। अगर ये नव-पंचम ( ५:९) का रिश्ता बनाता है तो सबसे उत्तम होता है। ऊपर के चित्र में पुरुष का सूर्य अंक २ या वृषभ में सातवें स्थान पर है और स्त्री का चंद्रमा अंक ६ पहले स्थान पर है। तो २ से ६ (२,३,४,५,६) ५ स्थान गिने आपने अर्थात नव-पंचम का मिलन है जो बहुत ही अच्छा माना जायेगा दोस्ती के लिये। इसी तरह स्थान देखने पर सूर्य और चंद्रमा का रिश्ता १:७ का है जिसे कहते है कि domination with respect का रिश्ता होगा। ६:८ और २:१२ बुरा माना जाता है, ४:१० भी अच्छा नहीं माना जाता पर फिर वही अधिकार dominance वाली बात आ जाती है । इसी तरह पुरुष का चंद्रमा और स्त्री का सूर्य भी देखें। नवमांश चक्र मिलाना न भूलें।

इसके अलावा, पुरुष का और स्त्री का सातवे स्थान का अधिपति क्या रिश्ता रखता है देखना चाहिये । ५:९ या एक ही स्थान पर हों तो सबसे अच्छा, ६:८, २:१२ बुरा माना जाता है।

दोनों के लग्नधिपति किस स्वभाव के हैं ये भी देखना चाहिये। अब और विस्तार से नहीं बता रही यहां मगर हर राशि का अपना स्वभाव माना गया है, आग्नेय, जल, पवन, भूमि। तो अगर एक का लग्न आग्नेये राशि है और दूसरे की जल तो कैसे निभ सकती है?

इतने गुण खास कर शुक्र-मंगल मिलन, राहु/शनि-मंगल मिलन, सूर्य-चंद्र मिलन आपने देख लिया तो काफ़ी कुछ बातें cover हो जाती हैं।

अगली बार किसी और शीर्षक पर लिखने की कोशिश करूंगी...

समाप्त

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