Saturday, September 20, 2008

दो ग़ज़लें

१.
हर हुनर हम में नहीं है ये हक़ीक़त मानते हैं
पर हमारे जैसा भी कोई नहीं है जानते हैं

जो ख़ुदा का वास्ता दे जान ले ले और दे दे
हम किसी ऐसी ख़ुदाई को नहीं पहचानते हैं

हम अगरचे गिर गये तो उठ भी खुद ही जायेंगे पर
अपने बूते ही हैं करते दिल में जो हम ठानते हैं

जो हमारा नाम है अख़बार की इन सुर्ख़ियों में
हम किसी नामी-गिरामी को नहीं पहचानते हैं

हम नहीं वो ’दोस्त’ जो झुक के वफ़ा की भीख माँगें
इश्क इबादत है मुहब्बत को ख़ुदा हम मानते हैं

२.
आपकी यादों को जाते उम्र इक लग जायेगी
कौन जाने ज़िंदगी अब फिर सँवर भी पायेगी

हर तरफ़ चर्चा है उनके दिल के तोड़े जाने का
शोर-ओ-गुल की ऐसी आदत जाते जाते जायेगी

टूटते रिश्तों में पलता टूटता बचपन यहाँ
राह में भटकी जवानी गोली ही बरसायेगी

आप करके भूल जायें सारे वादे तोड़ दें
जो नहीं दोनों तरफ़ वो क्या निबाही जायेगी

हौसला है जीने का इतनी बुलंदी पर यहाँ
मौत भी आने से पहले थोड़ा तो घबरायेगी

--मानोशी (२० सितंबर,२००८)

8 comments:

MANVINDER BHIMBER said...

हर हुनर हम में नहीं हम ये हक़ीक़त मानते हैं
पर हमारे जैसा भी कोई नहीं है जानते हैं

जो ख़ुदा का वास्ता दे जान ले ले, जान दे दे
हम किसी ऐसी ख़ुदाई को नहीं पहचानते हैं
manoshi...
je gajal man ko chu gai hai

Advocate Rashmi saurana said...

kya baat hai. bhut badhiya gajal. jari rhe.

Anonymous said...

bahut khub

परमजीत सिहँ बाली said...

मनोशी जी,दोनों गजलें ही बेहतरीन हैं।बहुत बढिया लिखा है-

हम नहीं हैं वो जो गिर के, झुक वफ़ा का भीख माँगें
दिल इबादत है मुहब्बत को ख़ुदा हम मानते हैं

टूटते रिश्तों में पलता टूटता बचपन यहाँ
राह में भटकी जवानी गोली ही बरसायेगी

नीरज गोस्वामी said...

मानोशी जी
टूटते रिश्तों में पलता टूटता बचपन यहाँ
राह में भटकी जवानी गोली ही बरसायेगी
एक करके भूल जाये सारे वादे तोड़ दे
जो नहीं दोनों तरफ़ वो क्या निबाही जायेगी
बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल है...बेहद असरदार शेर हैं...वाह...वा.
नीरज

Anonymous said...

हमें तो भाई दोनों गजलें बहुत अच्छी लगीं लेकिन खासकर इन लाइनों को पढ़कर मन खुश हो गया।
हम नहीं हैं वो जो गिर के, झुक वफ़ा का भीख माँगें/
दिल इबादत है मुहब्बत को ख़ुदा हम मानते हैं


अब तो मानोशी बड़े शायरों में शुमार हो गयी। अदब दाद देनी पड़ेगी। वाह बहुत खूब, क्या फ़र्माया है एक बार फ़िर से पढ़ दें। वल्लाह क्या बात कही है।

Dr. Shailja Saksena said...

Manoshi,

Abhi blog dekha, Bahut hi sunder gazal hai , dono hi gazalein bahut hi acchi lagi..sakaratmakta aur swabhimaan se bhari rachnayein hain aur padhne se mun utsahit sa hota hai.

sneh
Shailja Saksena

Anonymous said...

मानोशी दोनों गजले एक से बढ़ कर एक हैं, हर शेर पर दाद देने को जी चाहता है। बहुत खूब लिखा है