Friday, November 21, 2008

का करूँ सजनी...

पापा, आपको बहुत याद कर रही हूँ आज, जाने क्यों... सोचा था आपसे, मां से मिलना होगा इस साल, पर नहीं हो पायेगा...अब क्या पता कब हो फिर मिलना।

दो गीत, बड़े ग़ुलाम अली ख़ां के, जो बचपन से सुनती आई हूँ आपके छोटे से टेप रिकार्डर पर- आज पोस्ट कर रही हूँ, आपके लिये। विश्वदेव चटर्जी का- "जोदी मोने पोड़े शे दिनेर कथा, आमारे भूलियो प्रियो...” - उसे किसी और दिन पोस्ट करूँगी। कितना अच्छा गाते हैं आप पापा, इन सब के गाने...बस सुनहरी यादें हैं बचपन की, आपके गानों की, आपकी मधुर आवाज़ की और कई बार मां के साथ आपके डूएट गानों की...इस बार जब भी घर जाऊँगी, वो सब पुरानी यादों के कैसेट ले आऊँगी, यादों में हमेशा संजो कर रखने के लिये-

याद पिया की आये, ये दुख सहा न जाये...



का करूँ सजनी आये न बालम...

1 comment:

शोभा said...

बहुत ही प्यारा गीत है। इतबा सुन्दर गीत सुनवाने के लिये आभार।