Thursday, March 05, 2009

फागुनी चाँद- कुछ हाइकु


टेढ़ी मुस्कान
गहरी काली स्लेट
क्या मोनालीसा?


चेहरा प्यारा
रेशा रेशा बादल
खरोंच गया

डाल से टंगी
 टपकी लो टपकी
झुलसी रोटी

फागुनी चाँद
चाँदनी उबटन
गोरा आसमां

गोल पत्थर
बादल का फ़ासिल
प्रदर्श चाँद
(फ़ासिल= fossil)

चरखी घूमी
चिपकी चिंगारियाँ
गगन सजा

चूमे उठ के
उफ़नती लहरें
चाँद के होंठ

14 comments:

नीरज गोस्वामी said...

अद्भुत हाईकू...एक से बढ़ कर एक...वाह...
नीरज

Anshu Mali Rastogi said...

उम्दा। सुंदर।

रंजू भाटिया said...

फागुनी चाँद
मल गया चाँदनी
आसमान को

behad khubsurat likhta hai ..bahut badhiya

mehek said...

फागुनी चाँद
मल गया चाँदनी
आसमान को
waah sare haiku bahut sundar hai

"अर्श" said...

behad umda haiku padhawaane ke liye bahot bahot aabhar aapka....

kamaal ka likha hai aapne...

arsh

गौतम राजऋषि said...

कैसे किस तरह से तारीफ़ करूँ

गुम हूँ....

होली की मुबारकें

Dr. Shailja Saksena said...

बहुत सुंदर मनोशी-

शैलजा सक्सेना

Dr. Shailja Saksena said...

बहुत सुंदर मनोशी-

शैलजा सक्सेना

पूनम श्रीवास्तव said...

मानसी जी ,
बहुत अच्छे लगे आपके फागुनी हाइकु .
आपको महिला दिवस और होली दोनों की शुभकामनायें .
पूनम

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar said...

मानसी जी ,
वैसे तो सभी हाइकु बहुत अच्छे लगे ..एक नयापन लिए हुए पर इस हाइकु की बात अलग है ...
फागुनी चाँद
मल गया चाँदनी
आसमान को.....
महिला दिवस के साथ ही होली की ढेरों शुभकामनायें .आफिस के कामों के दबाव के कारन अभी मेल का उत्तर नहीं दे पाया .आपको जल्द मेल करूंगा
हेमंत कुमार

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar said...

मानसी जी ,
वैसे तो सभी हाइकु बहुत अच्छे लगे ..एक नयापन लिए हुए पर इस हाइकु की बात अलग है ...
फागुनी चाँद
मल गया चाँदनी
आसमान को.....
महिला दिवस के साथ ही होली की ढेरों शुभकामनायें .आफिस के कामों के दबाव के कारन अभी मेल का उत्तर नहीं दे पाया .आपको जल्द मेल करूंगा
हेमंत कुमार

Unknown said...

hi, it is really nice poem...enjoyed by reading it... keep post the good one..
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Ajit Pal Singh Daia said...

nissandeh umda haiku.

Divya Narmada said...

uttam