
आज ६ चूजों ने जन्म लिया, मिस डान लोच की कक्षा में। बच्चे अ

तिउत्साहित थे। वे लगातार पिछले २१ दिन से हर अंडे को रोज़ ध्यान से देख रहे थे। हम भी सब जा-जाकर देख आते थे उन अंडों को। अभी कक्षा पहली के बच्चे ला

इफ़-साइकल पढ़ रहे हैं,जिसके अंतर्गत बच्चों ने ये प्रोजेक्ट किया। इन्क्यूबेटर में ये अंडे २१ दिन तक रहे और जब ये चूज़े थोड़े बड़े हो जायेंगे तो इन्हें फ़ार्म में वापस दे दिया जायेगा, जहाँ से ये अंडे और इन्क्यूबेटर लाया गया है। फिर तो उन चूज़ों की नियति का पता है। वैसे बच्चों को बताया

जाता है कि ये चू़ज़े अब वहाँ जा कर खेलेंगे, खुश रहेंगे, बड़े हो कर क्या होगा ये कोई पूछता नहीं न हम बताते हैं।


मिसेज़ बैटल की कक्षा पहली में एक पालतू गिनी पिग है। उसका नाम लूसी है और बच्चे बड़े प्यार से उसे खाना खिलाते हैं, देखभाल करते हैं। उसकी तस्वीर-

8 comments:
बड़े प्यारे चूजे लग रहे हैं.
सुन्दर!प्यारी पोस्ट! चूजों की तरह!
sachmuch kitna achcha lagta hoga najdik se yah dekhna..
बच्चे किसी के भी हों कितने प्यारे लगते हैं !
है न ?
छूने से भी डर लगता है कहीं उसे कुछ हो
न जाए !
प्यारी पोस्ट...चूजों की तरह ही
सुन्दर सी.प्यारी सी पोस्ट..........
jeevan ko is tarah navakash me aankhe kholate huye dekhana achchha laga. Vidhata ka srijan abhibhut kar deta hai.
duniya ke rang niraley bhaiya
duniya ke rang niraley
kabhi kabhi jab wakt miley
duniya ke rang niharo bhaiya
duniya ke rang niharo.
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