बचपन में इस गाने को सुनती थी, एल.पी. रेकार्ड पर। आज ये आनलाइन मिल गई। हेमंत कुमार द्वारा गाया ये बंग्ला गीत- भालोबाशो शुधु भालोबाशो। इसके रचनाकार कौन हैं नहीं जानती, पर शायद संगीत हेमंत कुमार का अपना हो, पक्का पता नहीं। इस गाने के मिठास के क्या कहने।
बंग्ला गीत (नीचे हिन्दी में भावानुवाद)
अनेक रात
झिमोनो चाँद
शब्द नेई
कथा कोयोना ना
भालोबाशो शुधू भालोबाशो
माझे-माझे
पाता देर
काना कानी
फिश-फिश
बहू दू्रे आकाशे ते
तारादेर म्जलिस
दूटी हृदय
स्वप्नमय
अनुभवे बाधा दियो ना
जूई बोने शिशिरे
आनागोना टूक-टूक
जोनाकी आर झाउ शाखार
लूकोचूरी चूप-चूप
दूटी चोखे जोतो कोथा
संकेते शोरे जेओ ना
भालोबाशो शुधू भालोबाशो
हिन्दी भावानुवाद
गहरी रात
नशीला चांद
सन्नाटा
बातें न करो
प्रेम...बस प्रेम
कभी-कभी
पत्तों की
कानाफ़ूसी
फिस-फिस
बड़े दूर आकाश में
तारों की मजलिस
दो हृदय
स्वप्नमय
अनुभूति में
बाधा न बनो
प्रेम बस... प्रेम
जूही बन में
शिशिर के बीच
आनाजाना
टुक-टुक
जुगनु और
झाउ की डार
लुकाछिपी
चुप-छुप
दो आँखों में
जितनी बातें
इशारों से
दूर न जाओ
प्रेम...बस प्रेम
10 comments:
धुन और गुन अच्छी लगी!!
बहुत खूब इस आवाज़ को बरसों हम से सुन रहे हैं पर आज भी सुनते हैं तो और सुनने का मन करता है....भाई भावानुवाद से ये पोस्ट और सार्थक हो गया...अब एक काम और कीजिये आधुनिक बंगला गान जिसे मैं तो सुनता हूँ पूरी तरह समझ नहीं पाता फिर भी सुनता हूँ, मुझे बहुत अच्छे लगते हैं, भूपेन हज़ारिका,कबीर सुमन, नोचिकेता,या कोई और नया कुछ सुनने को मिले तो और मज़ा आ जाय....एक ज़माने पहले सुमन और भूपेन दा को सुना है....शुमनेर गान से कुछ गाने छांट कर सुनाईये....हिन्दी में गैर फ़िल्मी संगीत का चलन वैसा नहीं है जैसा बंगला में है...हेमन्तदा को सुनवाने के लिये शुक्रिया
शुक्रिया!!!!!!!!!
Bol bahoot achhe lage .. par geet to suna nahi .....
अति सुन्दर! आपकी प्रस्तुति और अनुवाद ने मन मोह लिया.
अनुवाद भी ग़ज़ब का किया है मानोशी आपने...
हेमंत दा की आवाज का जादू तो सर चढ़ के बोलता है।
Hemant da ki
makhmalee aawaaz meiN
aisaa nayaab geet
sunvaane ke liye
s h u k r i y a a .
'sunvaane ke liye nahee...
geet yaad dilvaane ka
shukriyaa .
actually...
it was in some haste
that i put the word
'sunvaane'
sorry !!
गाना और अनुवाद देकर संगीतप्रेमी समाज का भला करने के लिये धन्यवाद..
आशा है कि आगे भी ऐसे ही अनुवाद देकर बाँग्ला के मिष्टी गान पढ़वाती रहोगी।
सर्ल शब्दों में सह्ज मगर गहन अभिव्यक्ति--
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