Monday, January 18, 2010

दो बातें

दो अश्रु

एक अश्रु मेरा
एक तुम्हारा
ठहर कर कोरों पर
कर रहे प्रतीक्षा
बहने की
एक साथ

रात

पिघलती जाती है
क़तरा क़तरा
सोना बन कर निखरने को,
कसमसाती है
ज़र्रा ज़र्रा
फूल बन कर खिलने को,
हर रोज़
रात

दो बातें

दो बातें,
एक चुप
एक मौन
कर रहे इंतज़ार
एक कहानी बनने की

अजनबी

चलो फिर बन जायें अजनबी
एक नये अनजाने रिश्ते में
बँध जायें फिर,
नया जन्म लेने को

सप्तऋषि

जुड़ते हैं रोज़
कई कई सितारे
बनाने एक सप्तऋषि
हर रात
हमारे बिछड़ने के बाद

13 comments:

Udan Tashtari said...

बहुत सुन्दर कोमल प्रस्तुति!! बधाई!

Anonymous said...

ख़ूबसूरत ब्लॉग के कलेवर में ख़ूबसूरत रचनाएं।

निर्मला कपिला said...

एक अश्रु मेरा
एक तुम्हारा
ठहर कर कोरों पर
कर रहे प्रतीक्षा
बहने की
एक सा

जुड़ते हैं रोज़
कई कई सितारे
बनाने एक सप्तऋषि
हर रात
हमारे बिछड़ने के बाद
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुती है बधाई

दिगम्बर नासवा said...

कमाल की हैं सब क्षणिकाएँ ......... दो बातें और अजनबी तो बेमिसाल लगीं .........

Pushpendra Singh "Pushp" said...

मानसी जी

बेहतरीन रचना
पढ़ कर मज़ा आगया
बधाई कुबूल करें !

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

सभी शब्द चित्र बहुत ही मखमली हैं!

संजीव गौतम said...

अच्छी क्षणिकाएँ हैं. विचारशील.

गिरिजेश राव, Girijesh Rao said...

आप ने मेरा उत्साहवर्धन किया, इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद। योग्य़ जन द्वारा प्रशंसित होना सुखदायी होता है।

इन कविताओं को कया कहें! जैसे क्षणों को, अनुभूतियों को फ्रेम दर फ्रेम सँजो दिया गया हो! जैसे कोई उम्दा चित्रकार, फोटोग्रॉफर एकदम सही समय पर क्लिक कर दे और फ्लैश के प्रकाश तले क्षण दब जाँय...

अमिताभ त्रिपाठी ’ अमित’ said...

अच्छी लगीं आपकी ये क्षणिकायें।
चलो फिर बन जायें अजनबी
एक नये अनजाने रिश्ते में
बँध जायें फिर,
नया जन्म लेने को

एक अश्रु मेरा
एक तुम्हारा
ठहर कर कोरों पर
कर रहे प्रतीक्षा
बहने की
एक साथ

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
बधाई!

Pawan Kumar said...

एक अश्रु मेरा
एक तुम्हारा
ठहर कर कोरों पर
कर रहे प्रतीक्षा
बहने की
एक सा
acchi rachna......kam shabdon me bahut kuch kah diya aapne.....

अनूप शुक्ल said...

वाह! आंसुओं में भी टीम भावना होती है। वाह!

पूनम श्रीवास्तव said...

मानसी जी,
बहुत ही खूबसूरत एवम कोमल भावनाओं से युक्त ये
क्षणिकायें मन को छू गयीं।
पूनम

Meena C hopra said...

bahut samvedansheel rachanayen hain Manasi.