Sunday, March 21, 2010

ग़ज़ल- दिल में ऐसे उतर गया कोई



दोस्त बन कर मुकर गया कोई 
अपने दिल ही से डर गया कोई

आँख में है अभी भी परछाईं
दिल में ऐसे उतर गया कोई


एक आलम को छोड़ कर हैरां

ख़ामुशी से गुज़र गया कोई

हो के बर्बाद उधर से लौटा था
जाने क्यों फिर उधर गया कोई

"दोस्त" कैसे बदल गया देखो
मोजज़ा ये भी कर गया कोई

14 comments:

Udan Tashtari said...

उम्दा गज़ल!

हिन्दी में विशिष्ट लेखन का आपका योगदान सराहनीय है. आपको साधुवाद!!

लेखन के साथ साथ प्रतिभा प्रोत्साहन हेतु टिप्पणी करना आपका कर्तव्य है एवं भाषा के प्रचार प्रसार हेतु अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें. यह एक निवेदन मात्र है.

अनेक शुभकामनाएँ.

विजयप्रकाश said...

वाह...जो भी लौटा तबाह ही लौटा /
फिर से लेकिन उधर गया कोई.
बहुत अच्छी गजल है.

Gyan Dutt Pandey said...

जो भी लौटा तबाह ही लौटा
फिर से लेकिन उधर गया कोई

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वाकई, यह आदत का अंग है।
अपनी तबाही का सामान आदमी साथ लिये चलता है!

Pushpendra Singh "Pushp" said...

behtarin gajl
जो भी लौटा तबाह ही लौटा
फिर से लेकिन उधर गया कोई
umda sher
wah.....

Anonymous said...

आँख में अब तलक है परछाईं
दिल में ऐसे उतर गया कोई

Pawan Kumar said...

मानोसी जी
फिर से एक बार अपने ग़ज़ल के शानदार रंग बिखेर दिए.........
सबकी ख़्वाहिश को रख के ज़िंदा फिर
ख़ामुशी से लो मर गया कोई
ये दो मिसरे...........बस मुकम्मल हैं अपने आप में...!

नीरज गोस्वामी said...

आँख में अब तलक है परछाईं
दिल में ऐसे उतर गया कोई

ऐसी खूबसूरत ग़ज़ल पर सिवा वाह के और कुछ नहीं कहा जा सकता...मेरी बधाई स्वीकारें...
नीरज

सु-मन (Suman Kapoor) said...

जो भी लौटा तबाह ही लौटा
फिर से लेकिन उधर गया कोई
wah

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar said...

बहुत ही खूबसूरती से रची गयी गजल----।

पूनम श्रीवास्तव said...

आँख में अब तलक है परछाईं
दिल में ऐसे उतर गया कोई
जो भी लौटा तबाह ही लौटा
फिर से लेकिन उधर गया कोई
bahut hi khoobsurat gazal, har pankti khooobsurat.

वीनस केसरी said...

जो भी लौटा तबाह ही लौटा
फिर से लेकिन उधर गया कोई

वाह बहुत खूब
आपकी गजलें मुझे बहुत अच्छी लगती हैं

वीनस केसरी said...

जो भी लौटा तबाह ही लौटा
फिर से लेकिन उधर गया कोई

वाह बहुत खूब

आपकी गजलें मुझे बहुत अच्छी लगती हैं

गौतम राजऋषि said...

"जो भी लौटा तबाह ही लौटा
फिर से लेकिन उधर गया कोई"

ई-कविता पे भी पढ़ी थी तो ये शेर बहुत अच्छा लगा था। अपना-सा...

rajeev matwala said...

bhut-bhut bdhae. sundar aur ati vishist gajal padne ko mili. hridy ka saras udgaar hai.is prakaar gajal me jiwan sanchar hua hai. appar shubhkamnaaon shit...By Rajeev Matwala
My Site- www.rajeevmatwala.wordpress.com