Thursday, October 06, 2005
पहला लेख ब्लाग पर - १
आज अनूप शुक्ल जी के कहने पर गद्य लिखने का प्रयास है। ऐसा नहीं कि गद्य लिखा नहीं मगर बहुत वक्त लग जाता है गद्य लिखने में। अब अनूप जी ने ही कहा कि "मैं क्यों लिखती हूं" इस बात पर लिख डालो। सच, मैं क्यों लिखती हूं? जब ये लिखने की कोशिश की तो कुछ लिखते ही नहीं बना। तब अनुप जी की बात याद आई, जो तुम्हें अच्छा लगे वो लिखो। हां तो मुझे क्या अच्छा लगता है। पर अगर मैं वो लिखूं जो मुझे सचमुच बहुत अच्छा लगता है तो मुझे पता है मेरे पास कुछ पर्सनल ईमेल्स आयेंगे , पर ठीक है, हां यही विषय ठीक है, उसी पे कुछ लिख डालूं.....ज्योतिष।
जी, मैं ने ज्योतिष पर अपने अब तक के जीवन का काफ़ी समय खर्च किया है। ज्योतिष का शौक हुआ मुझे जब मैं मास्टर्स कर रही थी। मास्टर्स तो रसायन शास्त्र में कर रही थी मगर किताबें ज्योतिष की पढती थी, मम्मी से छुपा कर ( उस उम्र में भी, अब शर्म आती है, अपने गैर ज़िम्मेदार होने पर)। खैर, हमारे घर के ऊपर ( क्वाटर्स में रहते थे हम) एक अंकल रहते थे, उन्होने ही मुझे ज्योतिष के बेसिक्स सिखाये। मगर बेसिक्स सीखने से कुछ भी नहीं होता, ये मुझे आज मालूम है, क्योंकि किसी कुंडली को देखने के लिये, उसे सही पढने के लिये बेसिक्स के अलावा बहुत कुछ जानना ज़रूरी होता है, और फिर जानने से भी कुछ नहीं होता, अनुभव से, बहुत सारी जन्म कुंड्लियाँ देख कर अपने निर्णय लेने की क्षमता पर धीरे धीरे भरोसा होने लगता है। ज्योतिष द्वारा की गयी कई भविष्यवाणियाँ जब सही होने लगीं तो साइंस की छात्रा होने की वजह से जो मन की दुविधा थी, वो कहीं मार खाने लगी और इस विद्या पर यकीं होने लगा। ये बात समझ में आई कि ज्योतिष गलत नहीं ज्योतिषी गलत होते हैं। काफ़ी किताबें पढीं ज्योतिष पर, मगर सबसे अच्छा माध्यम रहा...इन्टर्नेट। बहुत सारे ज्योतिषियों से मुलकात हुई और बहुत सारी जन्म कुंडलियों को देखने का मौका मिला और उनसे सीखने का। ये तो जीवन भर सीखने वाली विद्या है, तो मेरी पढाई तो कभी पूरी नहीं हो सकती मगर इससे ज़्यादा दिलचस्प कोई और पढाई नहीं।
आइए ज्योतिष के कुछ आधारभूत बातों को जानें। फिर हो सकता है इसे पढ कर सचमुच कोई ज्योतिष की तरफ़ इतना आकर्षित हो जाये कि मेरा पर्सनल ईमेल पहुँचे उस तक....
शुरुआत करते हैं ग्रहों से। कुल मिला कर ज्योतिष में ( जो हमारे जीवन को प्रभावित कर सकते हैं) ९ ग्रह माने गये हैं। इन में से दो को छाया ग्रह कहा गया है- राहु और केतु।
सूर्य, चन्द्रमा ( हां ये ग्रह नहीं पर ज्योतिष में उन्हें ऐसे ही सम्बोधित किया जाता है), मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, और शनि के साथ राहु और केतु।
रवि या सूर्य को क्रूर ग्रह माना गया है, शनि, मंगल को पापग्रह और बृहस्पति, चन्द्रमा और बुध को शुभ। यानि कि ये ग्रह अपनी अपनी योग्यता अनुसार फल देते हैं ( ध्यान रहे, ऐसा भी ज़रूरी ही नहीं कि पापग्रह हमेशा बुरा ही करें, क्यों कि अभी तो ये सिर्फ़ बेसिक्स हैं)।
जन्मकुंडली बनाने के लिये सही जन्म दिन, जन्म समय और जन्म्स्थान (longitudr/lattitude) ज़रूरी होते हैं। आज कल कुछ अच्छे साफ़्ट्वेयर हैं जो बिल्कुल सही जन्म कुंडली बना देते हैं जैसे होरा लाईट, कृष्ना, आदि।
जन्म कुंडली में १२ घर होते हैं और हर एक घर का अपना महत्व होता है।
घर १ जिसे लग्न कहते हैं (ऊपर चित्र में नीले रंग से AS यानि कि Ascendent) उस व्यक्ति विशेष की शारीरिक अवस्था, रंग रूप, कद काठी, चिन्तन प्रक्रिया इत्यादि को बताता है
घर २ ( बाईं तरफ़ जहां ९ लिखा है वो दूसरा घर है, अब ९ क्यों लिखा है ये बाद में) धन, परिवार, शादी का कारक, इत्यादि होता है
घर ३ ( जहां १० लिखा है) पराक्रम, भाई, इत्यादि...
घर ४ ( जहां ११ लिखा है) माता, मकान, पढाई लिखाई, सुख इत्यादि को दिखाता है। इसी तरह सारे घर जीवन के विभिन्न पहलुओं को दिखाते हैं। अब कुंडली बनाने पर पता चलता है कि इन घरों में कोई न कोई ग्रह आ कर बैठता है। ( ऊपर देखें) यानि कि अगर आपको दिखे कि सातवें घर में चंद्रमा बैठा है तो आप अनुमान कर सकते हैं कि शायद ( और बहुत चीज़ें देखनी होती हैं पर फिर भी साधरणत:) बीवी या शौहर खूबसूरत हो, घरेलु हो क्योंकि सातवां घर पति या पत्नी स्थान माना जाता है। इस चित्र में सातवें स्थान पर ( बाईं तरफ़ से घर गिन कर देखें) सूर्य बैठा है तो शायद पति या पत्नी काफ़ी तेजस्वी हो, अधिकारी हो। कुछ घर खाली भी रह जाते हैं, वहां कोई ग्रह नहीं होता, मगर ये नहीं कि जीवन का वो पहलू खाली ही रह गया यानि कि अगर सातवें स्थान पर कोई ग्रह नहीं तो शादी ही न हो उस आदमी की...ऐसा नहीं होता... याद रखें, अभी भी हम बेसिक्स में हैं।
अनूप, रवि, जीतू और भी सभी...आप इतने बडे बडे लेख कैसे लिख लेते हैं...हम तो थक गये लिखते लिखते...
आगे और बेसिक्स बाद में...
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13 comments:
अरे वाह! ये हुई ना बात.
भारतीय विधि से की जाने वाली गणना से और पाश्चात्य विधी (ex. http://astro.com) से की जाने वाली गणना से जब जन्म पत्रिका बनाई जाती हैं तो ग्रहों की घरों मे स्थितियां फ़र्क क्यों होती हैं? - और कृपया सायन आदी पर भी कुछ बताईये.
अभी नये ग्रहों के आविष्कार से फलित ज्योतिष पर क्या फरक पड़ेगा?
चलो देर से ही सही, आयी तो...
ज्योतिष पर लेख अच्छा बन पड़ा है, लेकिन यदि आपके पास समय हो तो इसे दो या तीन कड़ियों मे विस्तार से लिखे तो बहुत अच्छा लगेगा।
जहाँ तक लम्बे लेख लिखने की बात है तो भई जब दिल के गुबार निकलते है तो उन्हे शब्दों मे नही गिना जाता, बस कीबोर्ड पर उतारा जाता है। मै तो लिखने से पहले बस विषय मे रम जाता हूँ,लेख अपने आप बन जाता है। थोड़े दिनो मे आप भी लम्बे लम्बे लेख लिखने लगोगे, तब हम पूछेंगे।
मैं तो आंख बन्द करके कुंजी पट पर टपर टपर टपर टपर...
और बस, लेख तैयार हो जाता है..
हे.. हे.. हे...
परंतु सच में तो मुझे भी ये हैरानी होती है कि अनूप फुरसतिया जी इतनी लंबी पारी कैसे खेल लेते हैं...
पर, भारत के एक बहुत बड़े तथाकथित ज्योतिष सम्राट नारायणदत्त श्रीमाली - जिनकी कई पुस्तकें भी प्रकाशित हुई हैं - ज्योतिष संबंधी, जब उनके यहाँ सीबीआई का छापा पड़ा और करोड़ों की संपत्ति जब्त हुई तो वे उसकी गणना या उसकी भविष्यवाणी क्यों नहीं कर सके?
क्या उनका शनि खराब था जो उनकी मति मारी गई थी और इस वजह से ज्योतिषीय गणना नहीं कर सके?
मेरा मतलब यह है कि क्या यह विज्ञान सम्मत है, और अगर है तो कभी माशा कभी तोला क्यों?
देखिये हम इसीलिये कह रहे थे। आपकी कवितायें लोगों को याद नहीं होंगी लेकिन यह लेख बहुत दिनों तक लोगों याद रहेगा। अब हमारे और दूसरे साथियों के लंबे लेख देखकर लगेगा कितना मेहनत का काम है। इसे आगे भी लिखें। आशीष श्रीवास्तव को तुरंत अपनी जन्मपत्री मोनिका जी को भेज देनी चाहिये ताकि वे बता सकें कि उनके विवाहयोग की क्या हालत है। कब सारे ग्रह अनुकूल बनेंगे?रविरतलामी जी हम तो कभी-कभी खेलते हैं लेकिन आप तो रोज रचनाकार पर लेख टाइप करते रहते हैं। बड़ी मेहनत का काम है।
ईस्वामि आपके प्रश्न का उत्तर इसी लेख के किसी भाग में दे पाऊंगी।
आशीष, दरअसल यूरेनस, नेप्ट्यून, प्लूटो आदि ग्रहों का प्रभाव कई ज्योतिषी देखते हैं मगर बहुत से ज्योतिषी नहीं देखते। ठीक ठीक से नहीं पता शायद दूरी की वजह से इनका प्रभाव उतना नहीं देखा जाता होगा। क्या आपकी शादी नहीं हुई? अपने birth details भेजिये ज़रा...;-)
जी जीतेन्द्र, आगे बढाने का इरादा तो है...
रवि, यही सारे तर्क मेरे मन में भी आते हैं और मैने बहुत से तर्क/वितर्क पढे हैं मगर ज्योतिष २+२=४ नहीं है। ये तर्क-वितर्क मेरे समझ में नहीं आते मगर व्यक्तिगत तौर पर मैने देखा है, ज्योतिष अगर ठीक तरह से की जाये तो it works. जैसा मैने कहा, ये इस प्राचीन विद्या का दोष नहीं, ज्योतिषी का दोष है, जो जल्दीबाज़ी में कोई निर्णय दे देते हैं। उन साहब की पत्रिका ज़रूर बताती होगी उनका वो खराब समय, शायद इस तरह नहीं कि वो corruption charges की वजह से जेल जायेंगे, मगर हां कारावास हो सकती है उस वक्त ऐसा तो ज़रूर...
अनुप, शुक्रिया। मगर ये मोनिका कौन है?
मानोशी जी, आप ने तो न न कहते कहते, बहुत बढ़िया लिख दिया. मेरी गिनती उन लोगों में है जो एक तरफ तो कहते हैं कि उन्हें ज्योतिष में विश्वास नहीं पर मौका मिलने पर झट अपने बारे में जानकारी दे कर भविष्य जानने की कोशिश करते हैं. तो सावधान रहियेगा. लिखना शुरु में कठिन अवश्य लग सकता है पर थोड़े से अभ्यास से इसमें तेज़ी आ जाती है. आगे भी लिखते रहने के लिए शुभकामनाँए. सुनील
अविश्वासी होने के लिए क्षमा चाहता हूँ, पर अन्ध-अविश्वासी नहीं होना चाहता, इस कारण कुछ प्रश्न हैं। हर मनुष्य के जन्म के समय ग्रहों की स्थिति क्या निश्चित रूप से उस के जीवन में होने वाली घटनाओं को निर्धारित करती है? यदि हाँ तो कैसे? एक ही समय पर पैदा होने वाले व्यक्तियों के जीवन भिन्न क्यों गुज़रते हैं? और कई बार विभिन्न समयों पर पैदा हुए लोगों का अन्त एक सा क्यों होता है? जैसे ९-११ की त्रासदी, या त्सुनामी या कटरीना के मारे क्या मिले जुले ग्रहों के साथ पैदा हुए थे? मेरी धारणा है कि जीवन की घटनाऐँ न तो पूर्वनिर्धारित होती हैं, न पूर्वानुमानित। फिर भी सुनील जी की तरह मैं भी हाथ आगे कर देता हूँ यदि महफिल में हाथ देखने वाला बैठा हो -- यह अलग बात है कि अभी तक कोई ऐसा अनुभव नहीं हुआ जिससे विश्वास जागे।
मानोशी जी
मुझे ज्योतिष पर लेख पढकर एक अच्छी बात यह लगी कि एक और अनछुए विषय को किसी ने छुआ। इससे अभी कुछ दिन पहले किसी पाठक द्वारा लगाये गये आक्षेप कि "सब के सब साहित्य पर ही लिखते है" को धोने में मदद मिलेगी। बहुत संबव है कि नारद मुनि एक अलग श्रेणि का सृजन ही कर दें। वैसे आपके लेख पर एक कौतुहूल है, अगर किसी को जन्म का समय ही न पता हो तो क्या उसकि कुँडली का डिब्बागोल माना जाये?
मानोशीजी,ये मोनिका कौन है यह तो कोई मोनिकाजी ही बेहतर बता पायेंगी। संभव है आशीष के जन्मविवरण मिलने के बाद जिनका नाम सामने आये वे ही हों। पर यहां गलती से 'मानोशी' के बदले 'मोनिका' टाइप हो गया कुछ ऐसे ही जैसे 'अनूप' की जगह लगातार 'अनुप' हो जाता है। आगे के लेखों का लोगों को इन्तजार है यह तोतय हो ही गया। लिखिये फिर सोचना कैसा!
मानोशी जी,
आपका लेख अच्छा लगा. कुछ हटकर पढने को मिला.
मै अभी तक सुखी (क्वांरा) ही हुं. अब जब अनूप भाई मेरे लिये कोई कन्या नही ढुंढ पाये तो आपकी तरफ भेज दिया.
पता नही मेरा ज्योतिष पर विश्वास है या नही? पक्के तौर पर कह नही सकता क्योकिं उपरी तौर पर यह जरूर कहता हूं कि मै इन चिजो पर भरोसा नही करता लेकिन यदि कोई भविष्यवाणी बुरी है तो मन कांप जाता है.
वैसे मेरी जन्मकुंडली को लेकर चला जाये तो मै अपने जिवन मे सन्यास ले सकता हुं :) मेरी मम्मी इसलिये मुझे कभी भी धार्मिक पुस्तके पढना तो दूर छुने भी नही देती !
चलो जब आपने पूछ लिया है तो अपनी जन्मतिथी बता देते है.
जन्मतिथी : १९ अक्तुबर १९७६
समय : ७.३० शाम
स्थान : दुर्ग (मप्र अब छत्तीसगड)
अब आप ही बता दिजिये मेरी शादी के कितने प्रतिशत आसार हैं ? मै तो सुखी रहुंगा ही, लेकिन वह खुशनसीब(?) कन्या मेरे साथ सुखी रह पायेगी ?
वैसे एक और बात इसके पहले जो "आशीष जी" ने टिप्प्णी दी है वो ज्ञान-विज्ञान वाले आशीष गर्ग jee है.
आशीष
http://www.ashish.net.in/khalipili
ये आशीष कुमार के लिये: आशीष क्या तुम मुझे अपना ई-मेल पता भेज सकते हो? यहां इस तरह तो नहीं होती astrology. मुझे और भी कुछ बातें पूछनी होंगी और ये तय करना होगा कि तुम्हारा birth time कितना सही है। तुम्हारे द्वारा दिये गये जन्मसमय की जानकारी के अनुसार क्या ये संभव है कि १९९९ अप्रैल से २००० अप्रैल के बीच तुम किसी लंबी या स्थाई रूप से अपने देश से बाहर गये थे? और क्या २००२ में ....अब हर सवाल तो नहीं पूछा जा सकता इस तरह...और ऐसे ही कई और प्रश्न पूछने होंगे जो मुझे कुछ भी judge करने में मदद करंगे। हां जैसे मैने पहले बताया है मैं अभी भी सीख रही हूं, पक्का वादा नहीं है कि जो बताऊंगी सब सच ही होगा |
हांजी ये रहा हमारा मेल का पता
ash.shri@gmail.com
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