Saturday, October 15, 2005

कुंडली मिलन की खास बातें--(आगे)

पुरुष





स्त्री











भाग ६
आइये अब इन दो कुंडलियों की मदद से कुंडली मिलाने की विधि सीखें। मैने पहले ही कहा है कि ये विधि ३६ गुण मिलन की विधि नहीं है मगर काफ़ी प्रभावी है। चलिये ऊपर की दो पत्रिकाओं को यूं मान लिया जाये कि पहली वाली कुंडली पुरुष की है और दूसरी वाली किसी स्त्री की।

हम अभी कुंडली के लग्न चक्र को मिला रहे हैं मगर ध्यान रहे कि नवमांश को भी इसी तरह देखना होता है। सिर्फ़ लग्न चक्र को देख कर निर्णय दे देना ठीक नहीं। और ये भी ध्यान रहे कि जो कुछ मूलभूत बातें यहां बतायी जा रही हैं सिर्फ़ उतने से ही दो जीवन सुखी रह पायेंगे या नहीं का निर्णय नहीं लिया जा सकता, मगर एक अनुमान लगाया जा सकता है कि दोनों का एक दूसरे के प्रति कैसा रवैया रहेगा।

१.
(क) स्त्री के लिये उसका मंगल शादीशुदा ज़िन्दगी, पुरुष के साथ संपर्क इत्यादि के लिये मह्त्व्पूर्ण माना जाता है। और वहीं शुक्र पुरुष के लिये। मंगल और शुक्र के मिलन को देख कर दोनों का एक दूसरे के लिये शारीरिक आकर्षण का अनुमान किया जाता है । तो आप देखें कि स्त्री का मंगल कहां है ---ऊपर पत्रिका में देखें --- ये मंगल १० यानि कि मकर में है। और पुरुष का शुक्र देखें, ये शुक्र पुरुष के कुंडली में ३ यानि कि मिथुन में है। अब गिनें १० से ३ तक...१०, ११, १२, १, २, ३ कितने स्थान गिने आपने? ६ स्थान, ठीक? अर्थात ये ६:८ ( कुल १२ राशियां होती हैं) का संपर्क हुआ जो कि बुरा माना जाता है। २:१२ का संपर्क भी अच्छा नहीं माना जाता। तो अच्छा क्या है? अगर दोनों ग्रह एक ही राशि में हों अर्थात पुरुष का शुक्र भी १० या मकर में होता या १:७ का सम्पर्क अर्थात अगर पुरुष का शुक्र ४ या कर्कट में होता ( गिन के देखें १० से ४ ) तो इस जोडी में शारीरिक आकर्षण बहुत ज़्यादा होता। कोई और तरह का संपर्क बुरा न हो मगर वो चुम्बकीय आकर्षण भी न हो शायद।
(ख) सिर्फ़ राशि स्थान ही नहीं घर भी देखिये। यहां स्त्री का मंगल पांचवे स्थान पर है और पुरुष का शुक्र आठवें स्थान पर ( आपको अब तक स्थान या घर देखना आना चहिये)। तो संपर्क हुआ...५ से ८ अर्थात ४:१० ह्म्म्म...आप ही सोचिये क्या होगा? क्या चुम्बकीय आकर्षण होगा? माना ये जाता है कि एक ही स्थान पर या १:७ के इस तरह के मंगल-शुक्र के संपर्क से पुरुष स्त्री के प्रति बहुत आकर्षित रहता है।
(ग) आपके पास नवमांश चक्र भी होने चाहियें। यही चीज़ अब नवमांश में देखिये। अब मान लीजिये कि नवमांश तो मिल जाता है मगर राशि चक्र वाली कुंडली नहीं मिलती..तब? तब आपको सोच समझ कर, और भी बहुत सारी चीज़ें मिला कर निर्णय लेना होगा। अभी तो हमने सिर्फ़ एक ही चीज़ देखी है- शुक्र और मंगल का मिलन।
मैने पाश्च्चात्य ज्योतिषियों को स्त्री का शुक्र और पुरुष का मंगल भी मिलाते देखा है ठीक इसी तरह और कई कामयाब जोडे भी देखे हैं। कुंडली मिलन के लिये मैं व्यक्तिगत रूप से राय दूंगी कि इस तरह भी मिला के देखें। शुक्र-मंगल का मिलन एक दूसरे के लिये आकर्षण बढाता है।

और क्या क्या देखें?

अगले भाग में और.... ( इस लेख से संबंधित कोई भी प्रश्न आप comments में कर सकते हैं)

क्रमश:

4 comments:

eSwami said...

बहुत बढिया जानकारी है. आगे पढने की उत्सुकता रहेगी.

आशीष said...

क्या आपको पत्री भेज सकते हैं मिलान के लिए ?

Tarun said...

ye shukra, mangal ko dekh ke aakarshit hota tha aur hume lagta tha ki hume ladki pasand aa rahi hai....mangal mangal mangal :)

Anonymous said...

मानोशी दी,

मै फिर से अपनी जन्मकुंडली के लिये आपके दरवाजे पर हाजीर हूं :)

पिछले महीने मेरी दूसरी बहन की शादी हो गयी :)
अब मेरा नंबर है लेकिन जब भी मै अपनी कुंडली किसी भी कन्या की कुंडली से मिलाता हूं कम्प्युटर महाशय मेरी कुंडली मे मंगल दोष दिखा देते है।

अब सलाह के लिये आपका दरवाजा खटखटा रहे है :)

जनम तारीख १९ अक्टूबर १९७६
जन्म समय : ६.१५ शाम
जन्म स्थान दुर्ग (मप्र)

आप देखे कि सही मे मंगल दोष है या नही ?
और शादी होने के चांसेस कितने है ? :)


आपका
आशीष
खालीपीली वाला
ash.shri@gmail.com