भाग ४ के लिये यहां देखें
भाग ५
अभी बहुत कुछ बाकी है बेसिक्स में मगर चलिये अभी एक सरल तरीके से पहले कुंडली मिलाने की विधि के बारे में चर्चा करें। इस लेख को पढने के बाद आप अंधाधुंध कुंडली मिलाने मत लग जाइये, क्योंकि इतना असान भी नहीं होता कि एक लेख पढ कर कुंडली मिलानी आ जाये।
हमारे देश में शादी से पहले कुंडली मिलन का चलन है। आज कल इन बातों पर ज़्यादा यकीं नहीं किया जाता मगर एक समय था ( अभी भी कई जगह) बिना कुंडली के मिले शादियां होती ही नहीं थीं। मगर अपने व्यक्तिगत अनुभव से देखा है मैने कि ३६ गुणों के कुंडली मिलन के बावजूद शादियां टूटती हैं और कुंडली बिना मिले भी कुछ शादियां कामयाब होती हैं। कुछ दिनों पहले मेरा संपर्क एक बहुत ही कामयाब ज्योतिषी से हुआ जो दरअसल एक अभियंता हैं मगर ज्योतिष विद्या में पारंगत। कहते हैं उनकी भविष्यवाणियां खाली नहीं जाती। आजकल उन्हीं से सीख रही हूं ( बल्कि उनके एक छात्र से)। कई जन्म पत्रिकाओं को देखने के बाद लगा कि उनके कुंडली मिलाने की विधि में कोई तो विशेष बात है जो उनके बताये गये तरीके से मिलायी गयी कुंडलियों की जोडियां कामयाब रही हैं। आगे और जैसे जैसे ज़्यादा अनुभव होगा, तब इस विधि पर और विश्वास बढेगा।
यहां मैं सिर्फ़ कुछ बहुत बेसिक बातें बता रही हूं ( ध्यान में रखते हुये कि इस लेख को कोई भी पढे तो समझ सके), इसके अलावा व्यक्तिविशेष के जन्मपत्रिका पर भी निर्भर करता है कि उसकी शादीशुदा ज़िन्दगी या रिलेशनशिप्स कैसे होंगे। उस पर भी बाद में कभी लिखूंगी...
अगर आपने इस लेख का भाग १ और भाग २ पढा है तो आपको इस लेख को समझने में कोई परेशानी नहीं होगी।
सबसे पहले ये याद रखें कि किसी भी जन्मपत्रिका को बनाने और सही भविष्यवाणी करने के लिये सही जन्म समय बहुत ज़रूरी होता है।
क्योंकि आजकल बहुत अच्छे साफ़्ट्वेयर उपलब्ध हैं इसलिये मैं अभी ज़्यादा विस्तार में नहीं जाऊंगी मगर यहां ये बताना ज़रूरी है कि एक तो होती है - राशि जन्म पत्रिका ( जो साधारणत: जन्म कुंडली कहलाती है) और फिर माहिर ज्योतिषी उसी जन्मकुंडली को कई हिस्सों में बांट कर और कई जन्मपत्रिकायें बनाते हैं जिन्हें वर्ग पत्रिकायें कहते हैं और बहुत सही भविष्यवाणी करने की चेष्टा करते हैं। ऐसे ही जब किसी कुंडली के किसी घर (स्थान) को नौं हिस्सों में बांट कर एक और पत्रिका बनायी जाये, उसे नवमांश पत्रिका कहते हैं। ये कुंडली भी उसी तरह से पढी जाती है जैसे जन्मकुंडली। अच्छे ज्योतिषी, बिना नवमांश को देखे कभी निर्णय नहीं देते। और इस नवमांश कुंडली की भी अहमियत जन्म कुंडली जितनी ही होती है। अब ये नवमांश कहां से आये? कौन बनाये? तो आप जब किसी अच्छे साफ़्ट्वेयर में जन्मपत्रिका बनायेंगे तो वो अपने आप नवमांश कुंडली भी तैयार कर देगी।
अब आइये देखते हैं कि कैसे दो व्यक्तियों की कुंडलियों को मिलाया जाये--
क्रमश: (अगले भाग में)...तब तक भाग १ और २ को पढ कर रखें।
No comments:
Post a Comment