Thursday, October 20, 2005

कुंडली मिलन की खास बातें--(आगे और)...


पुरुष








स्त्री







भाग ७

आइये अब आगे बढें--

२. हमने शुक्र और मंगल का मिलन पिछले अंक में देखा। अब चलते हैं आगे।
अगला कदम : पुरुष का शनि और राहु स्त्री के मंगल के साथ हो या मंगल पर दृष्टि रखे। अब जब मैने देखने या दृष्टि की बात कही है तो उसका मतलब भी बताना पडेगा।

ग्रहों की दृष्टि से मतलब है कि हर ग्रह किसी भी पत्रिका में एक निर्धारित स्थान पर अपना प्रभाव छोडता है। इसे ग्रहों का देखना कहते है या ग्रह दृष्टि ( aspect) कहते हैं।
हर ग्रह अपने स्थान से सातवें स्थान को देखता है मगर कुछ ग्रहों की विशेष दृष्टि होती है। जैसे कि गुरु या ज्यूपिटर अपने से सातवें स्थान के अलावा पांचवे व नौवें स्थान को भी देखता है। इसे समझने के लिये ऊपर पुरुष वाले चक्र को देखें... यहां गुरु बारहवें स्थान पर है ( जो कि ७ अंक है अर्थात तुला राशि उस स्थान का ग्रहाधिपति हुआ)। तो ये गुरु अपने से सातवें, पांचवें और नौवें स्थान को देखेगा। अर्थात इस गुरु की दृष्टि इस चक्र के छठवें ( 7th aspect या दृष्टि, ऐसे गिनें-१२,१,२,३,४,५,६-हुये न ७ स्थान यानि सातवीं दृष्टि), चौथे ( 5th aspect, ऐसे गिनें-१२,१,२,३,४ ), और आठवें ( 9th aspect, ऐसे गिनें-१२,१,२,३,४,५,६,७,८) स्थान पर होगी।

इसी तरह शनि की भी सातवें दृष्टि के अलावा विशेष दृष्टि होती है- अपने से तीसरे और दसवें स्थान पर , और मंगल की अपने से चौथे और आठवें स्थान पर और राहु की पांचवे, नौवें और बारहवें स्थान पर।

ये भी याद रखें कि राहु की गिनती उल्टी होते है अर्थात दायीं तरफ़।

तो अब आप कुंडली मिलन के लिये पुरुष के शनि को देखेंगे कि क्या ये स्त्री के मंगल पर दृष्टि डालता है? तो ऊपर के चित्र के अनुसार, पुरुष का शनि मेष राशि ( अंक है १) में है और स्त्री का मंगल मकर ( अंक है १०) में। तो गिने १ से १० तक... अरे हां...शनि की दसवीं दृष्टि तो है ( इसका मतलब होता है कि स्त्री पुरुष के प्रति आकर्षित रहेगी) , स्थान के अनुसार भी देखें। पुरुष का शनि है छ्ठें स्थान पर और स्त्री का मंगल है पांचवें स्थान पर तो संबंध हुआ २:१२ का जो अच्छा नहीं माना जाता। मगर नवमांश देखना भी ज़रूरी है। और क्योंकि एक शर्त पूरी होती है, कहा जा सकता है कि स्त्री का इस पुरुष के लिये आकर्षण काफ़ी रहेगा।

इसी तरह पुरुष के राहु की दृष्टि भी देखें स्त्री के मंगल पर, राशि से, स्थान से और नवमांश से। । ये भी इसी बात का द्योतक है कि स्त्री का पुरुष के लिये कितना आकर्षण रहेगा। ऊपर के चक्र में खुद ही देखें कि क्या स्थिति है?

अब मन और आत्मा की मिलन के लिये क्या क्या देखें?

क्रमश: ( कोई भी प्रश्न आप comments में पूछ सकते हैं।)

2 comments:

Anonymous said...

ज्योतिष पर आपका अच्छा अध्ययन है.
बॄजेश

PappuProgrammer said...

मानसी जी ,

धन्यवाद

आपके द्वारा दी गई जानकारी बहुत ही उपयोगी है।