Wednesday, February 14, 2007

नारद तन्हा रोने भी नहीं देता

मुझे याद है, बचपन में मैं गणित में बहुत कमज़ोर थी (अभी भी हूं) और बड़ी ही दयनीय स्थिति होती थी नंबरों के मामले में। और तो और हमारे टीचर भी कुछ कम न थे। हर किसी के टेस्ट के नंबर सब के सामने डिक्लेयर करते थे। जिनके अच्छे नंबर होते थे वो तो बहुत खुश और मुझ जैसे लोग बिचारे मुंह छुपाते फिरते थे।

आज नारद पर 'आपके हिट कितने हैं' देख कर जैसे फिर वो ही डरावनी फ़ीलिंग्स वापस आ गयी जिन्हें मैंने कोई १५ साल पहले तिलांजलि दे दी थी। जीतु जी के २८ हिट (जब मैंने देखा था, और किसी किसी के ४५ भी, और किसी के २) । थोड़े दिन पहले मैंने अनूप जी से लड़ लड़ कर जीतु जी से सिफ़ारिश करवा कर (ऐसा अनूप जी क्रेडिट लेते हैं कि उन्होंने जीतु को धमकाया, डराया तब उन्होंने बात मानी, जबकि मैं तो लिखने लगी हूं १५ दिन में एक बार) नारद पर अपनी रेटिंग १ करवायी। यानि कि मेरे 'मानसी' पर कुछ पोस्ट करते ही नारद पर पब्लिश हो जायेगा। तो क़ायदे से मुझे खुश होना चाहिये, पर अब लग रहा है...पोल भी खुलेगी, कितने लोग पढ़ते हैं मेरा चिट्ठा? 'मानसी' के नाम से ही कहीं..."बाप रे! फिर कवितायें... (क्यों ई स्वामी ठीक है न? ;) ) ...फिर वही यादों का सफ़र..." और हिट संख्या ...हे भगवान, अगर एक भी हिट न दिखा नारद पर तो???? अब तो लग रहा है, भई हम तो दूसरी रेटिंग में ही ठीक थे।

तो खैर, अब डर-डर के लिखेंगे और जब कम हिट्स होंगे तो खुद को तसल्ली दे लेंगे कि ठीक है मेरे उच्च विचार पढ़ने की काबिलियत कहां है सब में (अंगूर खट्टे हैं टाइप्स) या ऐसा सोच लेंगे कि हिट्स से क्या होता है, फ़ुरसतिया जी की ज़ुबान में हम तो जबरिया लिखबे।

उस शायर को कितनी समझ होगी जिसने लिखा होगा

कुछ न किसी से बोलेंगे
तन्हाई में रो लेंगे
हम तो हुये रुसवा लेकिन
तेरे भेद न खोलेंगे

सभी चिट्ठाकार बंधुओं को बेस्ट आफ़ लक (मुझे भी) ।

11 comments:

RC Mishra said...

आपने हमारे मन की बात कह डाली।
अब शायद केवल कवितायें लिखने वाले ब्लॉगर हिट्स के ही लिये सही, गद्य लेखन भी प्रारम्भ करें।

ePandit said...

अब हम क्या कहें हम खुद नारद जी से इस तरह की चीज के लिए बोले थे, लेकिन हमने कहा था कि सप्ताह के अंत में Summery देकर Stats बताई जाए। अभी ये तो एक्जिट पोल वाली बात हो गई पाठक जहाँ ज्यादा हिट्स देखेंगे वहीं जाएंगे। :)

खैर टेन्शन न लें हम आपके साथ हैं।

Anonymous said...

ये जरूरी नही कि ज्यादे हिट वाले अच्छे और कम हिट वाले बुरे लिखे हों, अगर कम हिट आयें समझ लीजिये उच्च दर्जे का लिखा था ;) शायद किसी की समझ नही आया वैसे ही जैसे लीक से हटकर आर्ट फिल्मों का हाल होता है बॉक्स आफिस पर। :) बस लिखते रहिये, आप हमारे लेख पढते रहिये हम आपके हिट काउंट कम से कम १ तो हमेशा आयेगा... ए क्या बोलती तू :)

उन्मुक्त said...

नारद के हिटस् पर मत जाईये। यह उन लोगों के बारे में बताता है हो नारद से आपसे चिट्ठे पर जाते हैं पर जो और कहीं से जाते हैं जैसे कि HindiBlob.com या फिर नारद की या फिर हिन्दी चिट्ठे एवं पॉडकास्ट की RSS फीड लेकर जाते हैं उसके हिटस् नहीं बताता। अधिकतर लोग चिट्ठों पर नारद से न जा कर इसकी या हिन्दी चिट्ठे एवं पॉडकास्ट की RSS फीड लेकर जाते हैं।

Anonymous said...

नारद्जी के क्रियाकलापो का विरोध नहीं कर सकते, इसके परिणाम अच्छे नहीं आते :)

जो सबसे अच्छा लिखा होगा, उसे कम हिट मिलेगी, ऐसा मान कर चले :)

फिर चिट्ठा पढ़ने के लिए केवल नारद से ही लोग नहीं आते.

Jitendra Chaudhary said...

क्यों व्यर्थ परेशान होते हो, क्यों घबराते हो। ये हिट्स वगैरहा तो मोह माया है, इनका त्याग करो।
हे पार्थ! उठ (अबे! खड़े होने के लिए नही कहा), अब दिल खोलकर लिख, लगातार लिख। हिट विट के चक्कर मे तो बॉक्स आफिस वाले पड़ते है, तू ब्लॉगर है ब्लोगर ही रह।

Anonymous said...

शीर्षक देख कर हम भी यही समझे थे कि कविता ही लिखी है, पर बीच में नारद का नाम देख आ गये:)
चलो एक हिट हमारी वजह से बढ़ गया।
शायद आपके चिट्ठे पर मेरी प्पहली टिप्पणी है यह,
शुभकामनायें

Divine India said...

आपने तो यह हाल लिखकर अपना आधार तो बना लिया हमसब क्या करें यह सोंचना है…वैसे भी इससे कोई फर्क नहीं पड़ता…तरून भाई सही ज्ञान दे गये…
सरल माध्यम…:)

मसिजीवी said...

हम तो आपकी प्रतीक्षा कर कर पढ़ते हैं। अब दुनिया वाले पाठकों को निर्मोही ऑंकड़ों में तब्‍दील कर देने पर उतारू हैं तो होंने दो।

eSwami said...

नारद ने आपको कम रैंकिंग पर इस लिये डाला था की आपने बीच मे लिखना ही कम कर दिया था. चलिये रेटिंग सिस्टम के परिणाम सही आ रहे हैं!

हां रोतली कविताएं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सबसे पीडादाई साईड-इफ़्फ़ेक्ट हैं! :)

Neelima said...

चलिए आप और हम मिलकर अल्‍पहिट ब्‍लॉगर संघ बनाएं बाकि भी धीरे धीरे समझदार बनेंगे ;)