Thursday, February 07, 2008
बर्फ़ बर्फ़ बर्फ़
" एन्वायरमेंट कनाडा का कहना है कि शुक्रवार को ३० से.मी. बर्फ़ गिरेगी, बर्फ़ खतरा जारी किया गया है" आदि आदि। दो दिन से यही खबर आ रही थी रेडियो पर, टी. वी पर हर जगह। और सब तो ठीक है बस मुश्किल ये है कि उस दिन शुक्रवार है, अर्थात स्कूल खुले होंगे। हाँ, उस दिन बच्चों के लिये स्कूल बंद है, 'प्रोफ़ेशनल डेवलपमेन्ट डे' है| अर्थात टीचरों की हाज़िरी ज़रूरी है। एक दिन पहले स्कूल में नोटिस ज़ारी हुआ था कि रेडियो टी.वी. ध्यान से सुनें। अगर स्कूल बंद होने की खबर हो तो स्कूल न आये कोई। बस हम सब ने प्रार्थनायें की कि स्कूल बंद हो जायें। इस बर्फ़ में न जाना पड़े। भगवान अपने ज़िद पर अड़े रहे, किसी की न सुनी और सुबह उठ कर एक घंटे टीवी के सामने बैठ कर आशाओं पर हर मिनट बाल्टी भर भर कर पानी फिरता देखा। पता चला कि बर्फ़ तो गिरेगी मगर स्कूल बंद नहीं होने वाले। मैं स्कूल जाने की तैयारी करने लगी। पति ने कहा," आज टैक्सी ले लेना, इस बर्फ़ में गाड़ी मत ले जाना"। टैक्सी कंपनी को फ़ोन किया तो पता चला कि किसी वक्त का वादा नहीं कर सकती आज टैक्सी कंपनियाँ। जब भी मैं तैयार हो जाऊँ, तब ही फोन करूँ। खैर, पति के आदेश का उल्लंघन करने की ठानी, और तैयार होने लगी। पति आफ़िस के लिये रवाना हो चुके थे। उनके लिये आसान है, बस से, ट्रेन से इस मौसम में जाना उतना मुश्किल नहीं होता। मैं निकलने ही वाली थी कि दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आई। कुछ दिनों से मेरी मुँहबोली बहन मेरे घर पर ही रह रही थी। यहीं से अपने काम पर आ-जा रही थी (वही, बर्फ़ आदि के चलते...उसका आफ़िस मेरे घर से पास है, उसके खुद के घर से)। वो अंदर आई और कहा," मेरे पीछे से किसी ने मेरी कार को क्रैश किया, कार डैमेज नहीं हुई है ज़्यादा, पर मैं वापस आ गई, इट इज़ नाट वर्थ गोइंग टु वर्क टुडे"। मैंने अपने मनोबल को संभाला और कहा, " ह्म्म्म, मैं निकलती हूँ।" उसने कहा,"दीदी मेरी बात सुनो, मत जाओ आज, इट इज़ नाट वर्थ" । दो चार बार ये कहने पर मैंने आखिर फ़ोन कर ही दिया स्कूल। आज बर्फ़ के चलते नहीं आ पाउंगी। स्कूल से बताया गया, नियमानुसार ऐसी हालत में मुझे सबसे पास के स्कूल में हाज़िरी देनी होगी, वरना तन्ख़्वाह कटेगी। सोचा कई बार, कि सबसे पास के स्कूल के लिये निकलूँगी तो अपने ही स्कूल न चली जाउँगी। तो खैर, मैने दिल पर पत्थर रख कर कहा, मैं नहीं आ पाउँगी। घर में बैठ कर पकौड़े खाये, टीवी देखी और अफ़सोस भी करती रही, कि चली जाती स्कूल तो भी शायद उतना बुरा नहीं था, आज ज़रूरी मीटिंग भी थी। बाद में पता चला कि स्कूल की आधी छुट्टी कर दी गयी थी और स्कूल बोर्ड ने बुरे मौसम के चलते तनख़्वाह काटने की नीति को नहीं अपनाया।
अगले दिन सब साफ़ था और मैंने राहत की साँस ली कि चलो, अब कुछ दिन तो बर्फ़ नहीं गिरनी चाहिये, १५ दिन का आराम शायद। रविवार रात को फिर टी.वी. पर १० से.मी. बर्फ़ की खबर थी। बस??? १० से.मी. ओह, कुछ भी नहीं। और बुधवार को फिर ३०-४० से.मी. बर्फ़ की खबर, इस बार भी कोई हल्ला नहीं, हम सभी काम पर गये, बर्फ़ में गाडियाँ भी चलीं और किसी ने कोई शिकायत भी नहीं की। मौसम के शुरु में काम के दिन पहली भारी बर्फ़ पर बड़े बड़े किस्से बने, मगर बाद के बदतर मौसम में भी सब सामन्य थे। इंसान की फ़ितरत ही ऐसी होती है। हर चीज़ की आदत हो जाती है। आज फिर भारी बर्फ़ गिरी है। कल बच्चों को लेकर टोबागनिंग, स्कींग आदि के लिये फ़ील्ड ट्रिप ले जा रही हूँ। बर्फ़ न हो तो मज़ा किरकिरा हो जायेगा। सब खुश हैं कि आज जम कर बर्फ़ गिरी है।
दूसरी छवि: सौजन्य: www.570news.com/shows/jeffallan.jsp
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6 comments:
प्लीज़, व्हिस्की में बर्फ़ की जगह कृपया ऊल की गोलियां लें..
बढ़िया है आप बर्फ का मजा लीजिये । वसे यह मजा घर की खिड़की से सबसे बेहतर लिया जा सकता है, कार चलाकर नहीं ।
घुघूती बासूती
प्रमोद जी, कमेन्ट समझ नहीं आया। पता नहीं, अब तक को व्हिस्की बर्फ़ या किसी के भी साथ नहीं ली, क्या इसी लिये कमेंट समझ नहीं आया?
घुघूती बासुती, धन्यवाद। हां आप का कहना सही है, सिर्फ़ खिड़कियों से ही बर्फ़ अच्छी लगती है।
hume to laga tha nahi jegah jakar aap gayab hi ho gayi hain....ya humi ko nahi dikhti rahin.
Baraf ke hisaab se abhi tak to yehan thik thak chal reha hai, saare storm kinare se nikal liye...bus kuch dino aur aise hi nikal jaayen.
बहुत दिनों बाद आपका लिखा देखा -
आशा है, मजे में हो !
हाँ तरुण आप लोग बहुत भाग्यशाली रहे हैं इस बार। हमे तो बहुत मार पड़ रही है इस साल। इतिआस में दूसरा सबसे बर्फ़ीली ठंड का मौसम होने का दावा कर रहे हैं लोग, ऐसा रेडियो पर सुना।
हाँ लावण्य जी, आप कैसी हैं?
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