Thursday, November 27, 2008

बेबस

हँसी खुशी
गूँजती किलकारी
आस, उमंग
और फिर अचानक
टूटते बिखरते पल
सिर्फ़ दर्द
आँसू चीत्कार डर
लपटों मॆं शहीद यादों का धूँआ
और हम?
बेबस...ठूँठ...

(दिल दहला देने वाली मुंबई में आतंकवादी हमले के बाद...दिल सिर्फ़ रो सकता है, बेबस सा...। मेरी श्रद्धांजलि शहीदों को। दर्द और बेबसी का अहसास है उस बरसों के धरोहर का इस तरह नुकसान होने पर भी... )

1 comment:

तरूश्री शर्मा said...

सच कह रहे हैं आप, कई बार जुबान साथ छोड़ देती है। लेकिन कब तक चलेगा ये सिलसिला...बस अब औऱ नहीं।