Thursday, November 06, 2008

नई सुबह


कई दिनों की बारिश,
भीगा मन, भीगा तन
सब कुछ सुंदर
सावन न बीत जाये कहीं
सुंदर कई नज़ारे,
बूँदों के बादलों से वादे
अचानक बिजली का शोर
आसमां की गरज
और ज़ोर से रोता आसमां
मगर फिर एक हल्की सी आभा
आसमानी छत चीर कर
एक किरण
फिर एक नई सुबह
बादलों से घिरा नहीं रहता
हमेशा जीवन
आह! कितना सुंदर है भोर
नई किरण तुम्हें भी ढूँढ लेगी
सखी, आशा है...

3 comments:

पारुल "पुखराज" said...

aap bahut acchha likhti hain

पुनीत ओमर said...

बड़ा सुहाना शमा बंधा है आपने..

रंजना said...

एक किरण
फिर एक नई सुबह
बादलों से घिरा नहीं रहता
हमेशा जीवन..........

Bahut hi sundar baat kahi aapne.bahut sundar rachna.