प्रिय तुम मेरे संग एक क्षण बाँट लो
वो क्षण आधा मेरा होगा
और आधा तुम्हारी गठरी में
नटखट बन जो खेलेगा मुझ संग
तुम्हारे स्पर्श का गंध लिये
प्रिय तुम ऐसा एक स्वप्न हार लो
बता जाये बात तुम्हारे मन की
जो मेरे पास आकर चुपके से ।
जब तुम सोते होगे भोले बन
सपना खेलेगा मेरे नयनों में
प्रिय तुम वो रंग आज ला दो
जिसे तोड़ा था उस दिन तुमने
और मुझे दिखाये थे छल से
बादलों के झुरमुट के पीछे
छ: रंग झलकते इन्द्रधनुष के
प्रिय तुम वो बूंद रख लो सम्हाल कर
मेरे नयनों के भ्रम में जिस ने
बसाया था डेरा तुम्हारी आंखों में ।
उस खारे बूँद में ढूंढ लेना
कुछ चंचल सुंदर क्षण स्मृतियों के
प्रिय तुम...
.
चित्र साभार: गूगल
12 comments:
बहुत अच्छी लगी आपकी रचना...बधाई
बढ़िया भाव!
बढ़िया भावाव्यक्ति के साथ बढ़िया रचना .
शुक्रिया रीतेश, समीर, और महेंद्र। ये कविता मेरी एक बहुत पुरानी कविताओं में से है, जो काव्यालय पर प्रकाशित है। आज यहाँ ब्लाग पर पोस्ट कर दी।
बहुत ही सुंदर भाव और अभिव्यक्ति मन को छू गई.....आभार.
जी हम तो देर से आये हैं बधाई देने इस खूबसूरत रचना पर...
"प्रिय तुम ऐसा एक स्वप्न हार लो/बता जाये बात तुम्हारे मन की/जो मेरे पास आकर चुपके से/जब तुम सोते होगे भोले बन/सपना खेलेगा मेरे नयनों में...."
बहुत कोमल और मोहक शब्दों की गुंथी माला
और मैं जा रहा हूं काव्यालय पर आपकी अन्य रचनायें देखने
अति सुन्दर मनमोहक रचना!
---मेरा पृष्ठ
चाँद, बादल और शाम
Manashi ji
Bahut hee sundar sahaj shabdon men bhavnatmak abhivyakti.Badhai.
Poonam
Manoshi ji,
Is bhav poorna kavita ke sath..kavita ke anuroop lagaya gaya chitra..bahut sundar post ke liye badhai.
Hemant Kumar
aap ne bahut sundar gajal likha hai,aap aisi hi sundar gajal likhte rahe,aisi meri subhkamna hai,aap kabhi mere blog ke follower baniye,aap ka swagat hai.
http://meridrishtise.blogspot.com
aap ne bahut sundar gajal likha hai,aap aisi hi sundar gajal likhte rahe,aisi meri subhkamna hai,aap kabhi mere blog ke follower baniye,aap ka swagat hai.
http://meridrishtise.blogspot.com
bahut bariya hai
Post a Comment