Sunday, January 11, 2009

Slumdog Millionaire- Golden Globe Awards


आज स्लमडाग मिलिअनेयर ने चार गोल्डन ग्लोब अवार्ड जीते, एक ऐसी फ़िल्म जिसने मुझे सिनेमा हाल से बाहर आते वक़्त सर झुका कर बाहर आने को बाध्य किया। एक बाहरी आदमी, आकर मेरे देश की, सिर्फ़ और सिर्फ़ गंदगी को दिखा जाये, मुझे बर्दाश्त नहीं होता। ’असली चेहरा भारत का’ जैसा कि फ़िल्म में कहा गया, और यहाँ तक कि उसकी तुलना किसी और देश से करना, मुझे इस फ़िल्म को सराहने की इजाज़त नहीं देती। हर घर में एक कूड़ादान होता है, मगर सिर्फ़ कूड़ादान ही नहीं होता जिसे दिखाया जाये, और ये बात मुझे तब सहन नहीं होती जब कि कोई बाहरी आकर इस कूड़ेदान का कचरा फैला जाये।
खै़र, मुझे खुशी है कि इस फ़िल्म ने संगीत का अवार्ड जीता। एक भारतीय ने ये अवार्ड जीता। बधाई- ए.आर. रहमान।

12 comments:

Vinay said...

सही कह रही हैं आप! रहमान को बधाई!



---मेरा पृष्ठ
गुलाबी कोंपलें

संजय बेंगाणी said...

बाहरी खास कर गौरी चमड़ी वालो से प्रसंशा पानी है तो भारत की गंदगी दिखाएं, न मिले तो बना कर दिखाएं. वर्तमान की नहीं तो भूतकाल के बहाने दिखाए. अवार्ड तो ऐसे ही मिलते है. कमी हमारी अपनी ही है. दुसरों को क्या दोष दें.

उन्मुक्त said...

क्या अन्तर पड़ता है कि उसे विदेशी दिखाये या फिर भारतीय। क्या सच्चाई झुटलायी जा सकती है। फिर यह कहानी तो एक भारतीय के द्वारा लिखी पुस्तक पर बनी है।

डॉ .अनुराग said...

ओर भारतीय है की बल्ले बल्ले हुए जा रहे है...की स्टेम्प लग गई...ब्लेक friday,धर्म ,wednesday ओंर पूर्व मे नसीर की "स्पर्श "गोवों निहालनी की तमस केतन मेहता की मिर्च मसाला ऐसी कई मूवी है जो विश्व स्तरीय है....इसके अलावा वर्तमान मे मै तारे जमीन को भी उच् स्तरीय सिनेमा मे मानता हूँ..... रहमान निसंदेह एक बेजोड़ कलाकार है ...उन्हें ये पुरूस्कार काफी पहले मिल जाना चाहिए था....

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

ये फिल्म देखी -
एक तरह का परिहास ही है
भारतीय अनमनेपन का !
जो देश की
परेशानियोँ को देख कर भी
अनदेखा किये जी रहा है -

सँगीत तो अच्छा है -
फिल्म देखकर
एक गहरा विषाद भी मन मेँ उपजा जो अब तक गया नहीँ :-(

- लावण्या

"अर्श" said...

manoshi ji aap mere blog pe aai iske liye pahale to bahot bahot dhanywad.
halaki maine ye film abhi tak dekhi nahi hai magar mera manana ye hai ke agar apne ghar me kuda hai to hai ,jaisa ke aapne apne lekh me likha hai agar dusara koi sirf kuda dikhata hai to ye indicate kar raha hai ke apne kude me bhi kitana dam hai ,sabse pahale to ise hame positively leni chahiye ke apna kuda pahale saaf karen taaki koi aur isse pahale ki hame saaf karne ke liye kahe.
ham main manta hun ke dusare jab kuda dikhate hai to bura lagata hai main isme aapse puri tarah se sahamat hun ....
chuki main sangeet se tallukat rakhata hun to A.R.Rahamaan sahab ko mere taraf se bhi dhero badhai....sath me itni achhi post kel iye aapko bhi..

mere blogo pe aapka hamesha swagat hai ..
kripya karke meri positiviness ko anyatha na len ...yahi gujarish hai aapse....

arsh

गौतम राजऋषि said...

फिल्म तो नहीं देख पाया हूं मनोशी,लेकिन आपकी भावनायें समझ सकता हूं
फिर ऊपर उन्मुक्त जी की बातों से भी सहमत हूं कि किताब भी तो एक भारतीय ने ही लिखी है

नीरज गोस्वामी said...

इस फ़िल्म का इंतज़ार है...रहमान साहेब ने तो देश का नाम ऊपर कर ही दिया है...
नीरज

गौतम राजऋषि said...

तेरी उमर की फूलवारी में खिला नया एक फूल....मुबारक सालगिरह...!!!

जन्म-दिन की अग्रीम बधाई

Smart Indian said...

आपके विचारों से सहमत न हूँ. अनूप जी की पोस्ट से आपके जन्म-दिन की जानकारी मिली. बहुत-बहुत बधाई, कहाँ है मिठाई?

Kavita Vachaknavee said...

आज १६ जनवरी को जन्मदिवस की शुभकामनाएँ।

Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी said...

जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिये बहुत शुक्रिया, गौतम, अनुराग, और कविता जी।