ख़्यालों के फ़ाहों से
बारिश की बूँदों तक,
एक नीले कण से
संपूर्ण इंद्रधनुष तक,
और बस दो लहरों का
विशाल सागर...
बारिश भिगोती है आत्मा,
इंद्रधनुष रंगता है मन को,
और समा जाता हैं पूरा समंदर
एक जीवन बन कर,
दो प्राणों में।
एक युग पार करते हैं
ज्यों एक पल में,
जीवन संगी...!
9 comments:
क्या बात है:
एक युग पार करते हैं
ज्यों एक पल में
जीवन संगी...
बहुत खूब!!
सुन्दर!
बहुत खूब
बहुत सुदर...
सुन्दर! बहुत खूब!! क्या बात है:
ख़्यालों के फ़ाहों से
बारिश की बूँदों तक
एक नीले कण से
संपूर्ण इंद्रधनुष तक
और बस दो लहरों से
एक विशाल समंदर..........
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ ....मानसी जी ....
पूनम
सुंदर रचना मानोशी....बहुत सुंदर
मानसी जी ,
बहुत सुन्दर रचना .जीवन को प्रकृति के साथ आप
बहुत खूबसूरती के साथ जोड़ती हैं .
हेमंत
ख़्यालों के फ़ाहों से
बारिश की बूँदों तक
एक नीले कण से
संपूर्ण इंद्रधनुष तक
और बस दो लहरों से
एक विशाल समंदर.....
बहुत खूब है.......
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