Friday, April 03, 2009

रामनवमी पर- सूरज की गर्मी से जलते हुये तन को

राम नवमी पर सुनते हैं ये प्रसिद्ध राम भजन -

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(जैसे) सूरज की गर्मी से जलते हुये तन को मिल जाये तरुवर की छाया
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है मैं जब से शरण तेरी आया

भटका हुआ मेरा मन था कोई मिल ना रहा था सहारा
लहरों से लड़ती हुई नाव को जैसे मिल ना रहा हो किनारा
इस लड़खड़ाती हुई नाव को जो किसी ने किनारा दिखाया
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है मैं जब से शरण तेरी आया
मेरे राम

शीतल बनी आग चंदन के जैसी राघव कृपा हो जो तेरी
उजियाली पूनम की हो जाये रातें जो थी अमावस अंधेरी
युग युग से प्यासी मरुभूमि ने जैसे सागर का संदेसा पाया
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है मैं जब से शरण तेरी आया
मेरे राम...

जिस राह की मंज़िल तेरा मिलन हो उस पर क़दम मैं बढ़ाऊँ
फूलों में ख़ारों में पतझड़ बहारों में मैं न कभी डगमगाऊँ
पानी के प्यासे को तक़दीर ने जैसे जी भर के अमृत पिलाया
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है मैं जब से शरण तेरी आया
मेरे राम...



6 comments:

अभिषेक मिश्र said...

Jaane kyon is post par sirf ek blank box hi dikh raha, Holi geet se hi kam chalana pada. Khair, shukriya.

Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी said...

Abhishek ji,

होना तो ऐसा नहीं चाहिये। एक और लिंक लगाती हूँ।

गौतम राजऋषि said...

कैसे बताऊँ...इस विशेष भजन के बारे में, कितना पसंद है मुझे ये, कितना गाता हूँ मैं इसे...और तो और मेरे मोबाइल का रिंग-टोन भी कई सालों से यही है धुन है...
पोस्ट पढ़ते-पढ़्ते चिल्ला-चिल्ला कर गा भी रहा हूँ...

दिगम्बर नासवा said...

सुन्दर......बहोत सुन्दर भजन है यह..........
मजा आ गया सुन कर

Rajeev (राजीव) said...

शर्मा बन्धुओं का यह लोकप्रिय भजन आज भी बहुत कर्णप्रिय लगता है।शायद इन्हीँ शर्मा बन्धुओं को पहले कभी "तुलसी बीटल्स" के नाम से ख्याति प्राप्त थी।
समयानुकूल प्रस्तुति।

shellykane said...

WOW!
It's a nice song. This song give us energy and purity.
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SHELLY KANE
sapience