आई मां मैं सच, हाँ सच
बादल की घोड़ा गाड़ी में
उड़न खटोला हवा से बातें
गप-शप, नींद, पुराने क़िस्से
आती हूँ मां सच, हाँ सच
आमों के पेड़ों से कहना,
आम बचा के रख लें अपने
बारिश से कहना कि मुनिया
आती है अब के हाँ सच
साजन पीछे तुम रो लेना
मैं हँसकर बलखा जाऊँगी
भैया तुम अब डाँट न देना
देखो माँ! अब सच, हाँ सच
नीलू पीयू संग बूड़ी-छू
गिल्ली-डंडा, ताश के पत्ते
गुड्डू बापोन आँख-मिचौली
हाय! अब ना होंगे मां सच
पर तेरी गोदी तो होगी
पापा के हिसाब की कॉपी
दोनों की मीठी तकरारें
आई मां मैं सच, हाँ सच।
बादल की घोड़ा गाड़ी में
उड़न खटोला हवा से बातें
गप-शप, नींद, पुराने क़िस्से
आती हूँ मां सच, हाँ सच
आमों के पेड़ों से कहना,
आम बचा के रख लें अपने
बारिश से कहना कि मुनिया
आती है अब के हाँ सच
साजन पीछे तुम रो लेना
मैं हँसकर बलखा जाऊँगी
भैया तुम अब डाँट न देना
देखो माँ! अब सच, हाँ सच
नीलू पीयू संग बूड़ी-छू
गिल्ली-डंडा, ताश के पत्ते
गुड्डू बापोन आँख-मिचौली
हाय! अब ना होंगे मां सच
पर तेरी गोदी तो होगी
पापा के हिसाब की कॉपी
दोनों की मीठी तकरारें
आई मां मैं सच, हाँ सच।
(भारत यात्रा पर लंबी छुट्टी में जाने से पहले)
20 comments:
haan sach hai ................bahut hi sundar rachana
नीलू पीयू संग बूड़ी-छू
गिल्ली-डंडा, ताश के पत्ते
गुड्डू बापोन आँख-मिचौली
हाय! अब ना होंगे मां सच
Mahakti huyee rachnaa hai.......
ye shabd apne aap me ek chah, ek aas vyakt karte hai....
Dil marmik ho utha ise padh ke...
Likhte rahiye...haste, hasate rahiye....
सही...भारत यात्रा के लिए शुभकामनाऐं.
... बेहद प्रसंशनीय अभिव्यक्ति !!!!
माँ ही सबसे बडा सच है मानोशी और पिता जी भी उन्हेँ मन मेँ बाँध लेना -
- लावण्या
आम के पेड़ों से कहना, दो
आम रख लें बचा के अपने
आपने अनुभूतियो को इतने सार्थकता से बयान किया है ---
बहुत खूब
नीलू पीयू संग बूड़ी-छू
गिल्ली-डंडा, ताश के पत्ते
गुड्डू बापोन आँख-मिचौली
हाय! अब ना होंगे मां सच
पर तेरी गोदी तो होगी
पापा के हिसाब की कॉपी
दोनों की मीठी तकरारें
आई मां मैं सच, हाँ सच।
मानोशी जी ,
गिल्ली डंडा ताश के पत्ते ...हुडदंग ...ये सब तो होना ही चाहिए ..नहीं तो आपके कोलकाता पहुँचने का ..मां को पता कैसे चलेगा .
यात्रा की शुभकामनाएं .
हेमंत कुमार
बेहद प्यारी और भावना से ओत-प्रोत रचना. भारत यात्रा के लिए हमारी शुभकामनाएं
Wah MAnoshi ji aap bhi bharat jaa rahi hai bahut achhi baat hai
ye nazm abhut khoobsurat hai
aam bacha kar rakhe kitni bholi baat hai
aapko padhna achha laga
वाहवा.... क्या बात है...
achchhee rachanaa hai jisamen samvedanaayen gahan roop main mukhar huee hain. badhaaee
स्वागत है वतन में...
एक बड़ी ही प्यारी रचना!
मानसी,
कोमल भावों की सशक्त अभिव्यक्ति के लिये साधुवाद!!
आशा बर्मन
बहुत अच्छी लगी . देश में कुछ समय रहने की ख़ुशी जारी होगी . लम्बी से लम्बी हो.
बादल की सफ़ेद गाड़ी में
पंख फैलाये हवा से बातें
बिल्कुल किसी परीलोक की तरह बहुत खूब!
सुन्दर भावनापूर्ण रचना है. अब भारत यात्रा के नए अनुभव और नयी रचनाओं से ब्लॉग पर फिर से बहार आ जाये, इसकी प्रतीक्षा है.
प्रिय मानसी,
अत्यन्त सुन्दर रचना! गहरे भावों की सरल अभिव्यक्ति!
आशा बर्मन
mansi ji ,
aapaki rachnayen dil ko chhuti hain
renu
बहुत खूब
क्या बात है
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