पुरानी कई यादों को संजो कर ले आई हूँ इस बार भारत से। १८-१९ साल की उम्र में आकाशवाणी रायपुर से प्रसारित मेरी गाई ग़ज़लें पापा के पुराने टेप-रिकार्डर में मिली। साथ ही मिला एक पुराना पीला अख़बार। पापा ने कितने जतन से ये सब संभाल के रखा है।
उन ग़ज़लों में से एक ग़ज़ल यहाँ सहेज रही हूँ।
और साथ ही वो अखबार की क्लिप।
17 comments:
बहुत ही सुन्दर .......मज़ा आ गया....
अच्छा लगा! तानपूरा वाली लड़की के बाल बहुत अच्छे लग रहे हैं लेकिन वो कैमरे की तरफ़ नहीं देख रही है। समाचार स्पष्ट नहीं है लेकिन हेड लाइन से पता चलता है कि युवा महोत्सव के उद्घाटन में गति अवरोधक और यातायात पुलिस तैनात करना जरूरी है।
खूबसूरत है । बड़े जतन से रखा है आपके पापा ने इसे ।
बडे दिन बाद आपके दर्शन हुए. ये तो लग रहा था कि अपने साथ जो लायेंगीं उसी में से कुछ मिलेगा लेकिन उम्मीद से ज्यादा अच्छा मिला है. वाकई पुरानी यादों में घूमना कितना अच्छा लगता है. ग़ज़ल और फोटो दोनों शानदार है.
क्या बात है ........... बहुत ही जोरदार मज़ा आ गया आपकी aawaaz madhur है
सुस्वागतम मनोशी...वो रिकार्डिंग सुन नहीं पा रहा। मेरे नेट की गति इजाजत नहीं देता। संभव हो तो मेल में भेजिये।
पुरानी तस्वीर अच्छी लगी और पिताजी का इन्हें सहेज कर रखना...
बहुत सुंदर मानसी जी,
आनंददायक अनुभूति थी इस ग़ज़ल को सुनना...
आपका रियाज़ जारी है या नहीं ?
सुन्दर! गाना सुन्दर, मानसी सुन्दर! मानसी का लौट के आना अति सुन्दर! जय हो!
wahhhhhhhhh sunder ati sunder
kya baat hai
itni sunder aawaz ke saath itni sunder gazal
aur aapka ye roop
bhai kayal ho gaye aapke
अति सुंदर।
( Treasurer-S. T. )
mansi
bhut hee accha
kya aur gazals bhi hame sunne ko mil sakti hai
yaadgari rahega
jasbir kalravi
बहुत आनन्द आया सुनकर. :) और भी सुनवाओ. भारत यात्रा कैसी रही?
सखि, लीजिये आप घर जमाने में मसरूफ हैं तो हम ही आपके दर पे आ गए:) आपकी गाई हुई ख़ूबसूरत ग़ज़ल सुनी और तस्वीर भी देखी. अब ज़रा रसगुल्ले भिजवाईये या खुद ही खा किये हैं सारे :) ? सस्नेह शार्दुला
bahut sundar.........
Beautiful silky voice , full of feelings ..
So glad aapke Pujy Papa ji ne
ees GAZAL ko Sahej ker rakha hai
Aapki purani tasveer bhee Bus Zamane ki yaad karva rahee hai ..
Behtareen ...Geet Gayan jaari rakho
Sa sneh ashish ,
- Lavanya
सभी का बहुत शुक्रिया।
अजीत जी, घर-गृहस्थी और काम का रियाज़ संगीत के रियाज़ से ज़्यादा हो जाता है :-)
शार्दुला, ज़रा सी देर हो गई आपके आने में। मैंने बचा के रखे थे रसगुल्ले, पर आप आईं ही नहीं, सो मन मार कर खा लिये।
हां समीर, जसबीर जी, कुछ और गज़लें समय से अपलोड करूँगी।
Kyaa baat hai!Apni kala ko qaayam rakhiye.
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