मुल्तानी-काफ़ी राग सिन्धी भैरवी में उस्ताद सलामत खां की आवाज़ में - डूब जायें बस...
मुल्तानी काफ़ी एक तरह की गायकी है जिसमें सूफ़ी प्रभाव देखा जा सकता है। इसे सिन्ध और पंजाब में बहुत गाया जाता है। ये बहुधा पंजाबी या सिंधी भाषा में होती है। ये मुल्तानी काफ़ी ख्वाजा ग़ुलाम फ़रीद की लिखी हुई है।
6 comments:
बहुत खूब .......... सूफियाना अंदाज़ हर भाषा में अच्छा लगता है और मुल्तानी में तो लाजवाब ......
अदभुत ।इस विशिष्ट प्रस्तुति का आभार ।
suna. jitna samajh me aaya achchha laga|
औडिएंस में कौन बैठा है पहेचाना आपने ? ज़रा गौर से देखिये :-)
आपने जो गजल लिखी है वाकई में मुझे अची लगी है क्योंकि उसमे दिलको छु जाने वाली दासता है |
आपने जो गजल लिखी है वाकई में मुझे अची लगी है क्योंकि उसमे दिलको छु जाने वाली दासता है |
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