बँगला गानों की शृंखला में, ये एक अत्यंत मधुर गीत आज, श्रीकांत आचार्य की आवाज़ में। मैंने इस गीत को पहली बार कुछ दिनों पहले ही, बंगाल से एक दोस्त के भेंट करने पर सुना। इतना मधुर संगीत और मख़मली आवाज़ में इस गीत को सुन कर भाषा को जानने न जानने की ज़रूरत नहीं रह जाती है। फिर भी शब्द दे रही हूँ साथ में-
बंग्ला मे गीत- (नीचे हिन्दी में भावानुवाद)
आमार शारा टा दीन, मेघला आकाश बृष्टि तोमाके दीलाम
शुधु श्राबन संध्या टुकु तोमार थेके चेये निलाम
हृदयेर जानाला ए चोख मेले राखि
बाताशेर बांशी ते कान पेते थाकी
ताके ई काछे डेके
मोनेर आँगिना थेके
बृष्टि तोमाके तोबू फिरिये दिलाम
तोमार हाथ ए ई होक रात्रि रचना
ए आमार स्वप्न सूखेर भाबना
चेयेछि पेते जाके चाईना हाराते ताके
बृष्टि तोमाके ताई फिरे चाइलाम
हिन्दी में भावानुवाद-
मेरा सारा ये दिन, मेघमय आकाश, वृष्टि तुम्हें दे दी मैंने
बस श्रावन संध्या ही एक तुम से मांग ली है मैंने
हृदय की खिड़की पर आंखें बिछाये बैठा हूँ
हवा के बंसी पर कान लगाये बैठा हूँ
उसे ही पास बुला कर
मन के आंगन से
बृष्टि तुम्हें फिर भी लौटा रहा हूँ
तुम्हारे हाथों ही हो रात्रि रचना
यही मेरा स्वप्न है, सुख की भावना
जिसे पाना चाहा है, उसे चाहता नहीं खोना
वृष्टि तुम्हें इसलिये वापस मांगता हूँ
6 comments:
सुन्दर भावभरी कविता के लिए बधाई!
GEET KE BHAAV ... SWAR AUR SANGEET ITNA MADHUR HAI KI BANGAALI SAMAJH NA AANE PAR BHI IS GEET KO KAI BAAR SUNA ... AABHAAR ITNE SUNDAR GEET KE LIYE ....
मानोशी जी,
बांगला मैं ज्यादा नहीं समझती फ़िर भी गीत के भाव और संगीत सुखद लगा। यह गीत सुनवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद्।
पूनम
sukhdaayi sangeet
mn-bhaavan geet
aapka
aabhaar
aur
abhivaadan .
bahut sundar git hai
सच कहा आपने...गीत इनता मधुर है की भाषा का पता ही नहीं चलता...मन से सुनो तो साथ गुनगुनाने लगता है...अप्रतिम गायकी...
नीरज
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