छुट्टियों के आने की तैयारी हो रही है स्कूलों में। किसी कक्षा में जिंजर-ब्रेड मेन बन रहे हैं तो किसी कक्षा में हनुका के लिये लैटके बन रहे हैं। स्कूल के शीत- उत्सव (विन्टर कन्सर्ट) में प्यारे- प्यारे, छोटे-छोटे बच्चों को अपने छोटे-छोटे हाथों को नचा-नचा कर गाने के साथ ऐक्शन करते हुये स्टेज पर देख कर मन अनायास ही खुश हो जाता है।
आज मेरा दिन इन ३-४ साल के बच्चों के साथ जिंजर-ब्रेड मैन को ढूँढते हुये निकला। बड़ी मेहनत से क्लास में सब ने टीचर की मदद से इन जिंजर-ब्रेड मैन कुकीज़ को बनाया और टीचर जा कर स्कूल के किचन में इन्हें अवन में रख आई। मगर जैसे ही कुछ बच्चों के साथ वो उन्हें लेने पहुँची, जिंजर-ब्रेड मेन तो वहाँ थे ही नहीं। सब के सब भाग चुके थे अवन से। तो फिर हम सब निकले उनकी खोज करने।
पहले किचन में एक नोट मिला, जिसमें लिखा हुआ था- आप मुझे केयर टेकर (स्कूल की सफ़ाई आदि का ध्यान रखने वाला स्टाफ़) के ऑफ़िस में ढूँढिये। वहाँ जब बच्चे टीचर के साथ गये तो उन्हें एक और नोट मिला कि वो सब तो भाग कर कम्प्यूटर लैब गये हैं। बच्चे वहाँ ढूँढ आये और इस तरह एक के बाद एक कई कक्षाओं में, प्रिंसिपल के आफ़िस में और स्कूल में हर जगह ढूँढ आने के बाद वह उन्हें मिले ...तो लाइब्ररी में। फिर सब ने उन्हें लाकर, उन पर कक्षा में आइसिंग कर उन्हें खा लिया।
बच्चे कितने भोले होते हैं। सब के सब उन जिन्जर ब्रेड कुकीज़ को इस तरह ढूँढ रहे थे जैसे सच वो भाग कर कहीं छुप गये हैं। उनके मिल जाने पर बच्चों की खुशी के एक्सप्रेशन को शब्दों में बयान करना मुमकिन नहीं।
इन नन्हें फूलों के कि़स्सों से अब लगता है मेरा ब्लाग सजता ही रहेगा।
12 comments:
बच्चे कितने भोले होते हैं..वैसी खुशियों का अहसास उनके साथ जीना कितना अदभुत होता है. एन्जॉय करो! और सुनाते रहो!
हम इन नन्हे फूलों से सजी आपकी व्लॉग-क्यारी देख प्रमुदित होने आते रहेंगे ।
सलोना भोलापन विमुग्ध कर देता होगा न आपको !
बच्चो के साथ रह कर ही अपना बचपन भी याद आने लगता है।....बच्चो का साथ मन को एक गहरा आनंद सा दे जाता है....अच्छी पोस्ट लिखी है...
इसीलिए तो बच्चों को बच्चा कहा गया है।
बचपन के इस सुंदर किस्से के लिए आभार।
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छोटी सी गल्ती जो बडे़-बडे़ ब्लॉगर करते हैं।
क्या अंतरिक्ष में झण्डे गाड़ेगा इसरो का यह मिशन?
इस प्यारे से संस्मरण को लिखने के लिए बधाई!
ये खाने में कैसे होते होंगे सोच रहा हूँ। या केवल दखने मे लिये होते हैं। लेकिन हँसता हुआ जिंजर्ब्रेडमैन अच्छा लग रहा है।
मानसी जी,
कितना कुछ सिखा देते हैं बच्चे, और उनकी बातें
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
सच कहा ........ बच्चों के साथ जितना भी चाहो उतना समय आसानी से बिताया जा सकता है ........
Manoshi ji,
bachchon ka sath ---sach men bahut hee sukhdayee pal hote hain vo----
Poonam
सुन्दर!
जिन्जर ब्रेड कुकीज़ खेल के बारे में जाना -रोचक !
बच्चों की खुशी के एक्सप्रेशन को शब्दों में बयान करना मुमकिन नहीं।
sach hi hai....
treasure hunt ki tarah hi ho gya na!
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