तेरा मेरा रिश्ता क्या है
दर्द का आख़िर क़िस्सा क्या है
हर इक बात में ज़िक्रे-यार अब
तर्के-तआल्लुक़ है, या क्या है
(तर्के-तआल्लुक़- टूटा रिश्ता)
उम्र तआर्रुफ़ में गुज़री, अब
खु़द से मिल कर रोता क्या है
(तआरुफ़- पहचान होना)
एक नशेमन तिनका तिनका
तेरा क्या है मेरा क्या है
(नशेमन- आशियाना)
’दोस्त’ हैं राहें अपनी अपनी
झूठा क्या और सच्चा क्या है
दर्द का आख़िर क़िस्सा क्या है
हर इक बात में ज़िक्रे-यार अब
तर्के-तआल्लुक़ है, या क्या है
(तर्के-तआल्लुक़- टूटा रिश्ता)
उम्र तआर्रुफ़ में गुज़री, अब
खु़द से मिल कर रोता क्या है
(तआरुफ़- पहचान होना)
एक नशेमन तिनका तिनका
तेरा क्या है मेरा क्या है
(नशेमन- आशियाना)
’दोस्त’ हैं राहें अपनी अपनी
झूठा क्या और सच्चा क्या है
16 comments:
उम्र लगी तार्रुफ़ होने में
खु़द से मिल कर रोता क्या है
-वाह, बहुत खूब!!
ये रंग भरा त्यौहार, चलो हम होली खेलें
प्रीत की बहे बयार, चलो हम होली खेलें.
पाले जितने द्वेष, चलो उनको बिसरा दें,
खुशी की हो बौछार,चलो हम होली खेलें.
आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.
-समीर लाल ’समीर’
बेहद उम्दा गज़ल है. हर शेर नायाब हैं. यह शेर तो गजबै है..
उम्र लगी तार्रुफ़ होने में
खु़द से मिल कर रोता क्या है
..वाह!
सुन्दर प्रस्तुति!
बधाई!
'दोस्त' अपनी-अपनी राहें हैं
बहुत ही सुन्दर...
खूबसूरत
सभी शेर एक पूरी कहानी और फलसफा है.
बढ़िया ग़ज़ल
पूरी गज़ल बहुत खूबसूरत है। धन्यवाद्
हर इक बात में ज़िक्रे-यार अब
तर्के-ताल्लुक़ है, या क्या है
मानोशी जी अरसे बाद आपकी ग़ज़ल पढने को मिली...एक एक शेर कमाल का है...दिली दाद कबूल करें...और हाँ देर से ही सही होली की ढेरों शुभकामनाएं...
नीरज
बहुत सुन्दर !! हर शेर लाजवाब है.
एक घरौंदा तिनका तिनका
तेरा क्या और मेरा क्या है
सारे शेर उम्दा है..
Manoshi ji,
Bahut sundar lagee apakee yah gajal---Holee kee hardik mangalkamnayen.
Poonam
...एक से बढकर एक शेर ...उम्दा गजल,बधाई!!!
बहुत ही बढ़िया लगी आपकी रचना , आपको होली की बहुत-बहुत बधाई ।
उम्र लगी तार्रुफ़ होने में
खु़द से मिल कर रोता क्या है
bahut gahra sher........
Holi par shubhkamanaayen
ek nasheman tinka tinka,tera kiya or mera kiya ,achchi paktiyan hai,badhai
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