Wednesday, September 08, 2010

कोशिशें


कहते हैं कोशिशें कामयाब होती हैं

कितनी कोशिशें
हमने भी कीं...
याद है वह हमारा छुपना चांद से,
अपने-अपने छतों पर?
उसे न देखने की कोशिश?
खिड़की भी तो बंद कर ली थी मैंने
कि वही चाँदनी तुम्हारी आँखों से छन कर
मुझ तक पहुँचती होगी।

और वो शाम?
जिस शाम हम मिले थे
आसमां का रंग और हमारे प्यालों की कॉफ़ी का 

कत्थई रंग जो आँखों में समा गया था,
उसे मिटाने की कोशिश...
देखो! आज भी तो आ जाती है वह शाम ख्वाबों में
डूबते हुये सूरज का पता देने?

तुम्हें न हो याद शायद पर मुझे है याद,
वह आधी रात को उठ कर
सितारों के कारवां में एक सितारा बन
तुम्हारे साथ-साथ चलना मेरा,
तुम्हें अहसास नहीं मगर
मैं चलती थी तुम्हारे आंगन में,
देख आती थी तुम्हें सोते हुये
तुम्हारे ख्वाबों में,
उन सोने-चांदी के पेड़ पत्तों को छू आती थी,
उसे सिरहाने रख सोने की कोशिश की थी
नींद नहीं आई उस रात,
फिर किसी रात...

और सुनो! वो लाल फूल
जो  दहकते हैं आज भी
तुमने जिन्हें सींचा था अपने प्यार से,
आज भी मेरे बगी़चे में महकते हैं,
कैसे मिटा दूँ खुश्बू हवा से बताओ!
जानती हूँ खुश्बू का बसेरा नहीं।
उसे कहां बाँध सकूंगी मैं,
पर ये कोशिशें...नाकाम कोशिशें!

कौन कहता है कोशिशें कामयाब होती हैं?

17 comments:

राणा प्रताप सिंह (Rana Pratap Singh) said...

यादों का कारवां कहीं कोने में मद्धम गति से चलता रहता है, लाख जतन कर भी उसे मिटाया नहीं जा सकता है| बहुत सुन्दर कविता|

और सुनो! वो लाल फूल
जो दहकते हैं आज भी
तुमने जिन्हें सींचा था अपने प्यार से,
आज भी मेरे बगी़चे में महकते हैं,
कैसे मिटा दूँ खुश्बू हवा से बताओ!
जानती हूँ खुश्बू का बसेरा नहीं।
उसे कहां बाँध सकूंगी मैं,
पर ये कोशिशें...नाकाम कोशिशें!

अंतर्मन की आवाज़ बयां करती ये पंक्तियाँ बेमिसाल हैं|

गजेन्द्र सिंह said...

अच्छी पंक्तिया है ....
बहुत बढ़िया .... आभार
एक बार जरुर पढ़े :-
(आपके पापा इंतजार कर रहे होंगे ...)
http://thodamuskurakardekho.blogspot.com/2010/09/blog-post_08.html

पारुल "पुखराज" said...

bahut sundar..

प्रवीण पाण्डेय said...

कॉफी का रंग आँखों में समा गया था। कोमल कल्पना।

कबीर कुटी - कमलेश कुमार दीवान said...

umda shavad chitra hai

गौतम राजऋषि said...

एक अजीब-सी सिहरन दौड़ गयी पूरे शरीर में इस नज़्म को पढ़ने के बाद। कितने दिनों बाद आज फुरसत निकाल पाया "मानसी" के लिये...रूबरू हुआ इस अद्‍भुत ऐलाने-ए-इश्क से। "कि वही चाँदनी तुम्हारी आँखों से छन कर मुझ तक पहुँचती होगी"...और इसलिये खिड़की बंद कर लेना, उफ़्फ़्फ़ !

सचमुच कौन कहता है कि कोशिशें कामयाब होती हैं...!!

दिगम्बर नासवा said...

और सुनो! वो लाल फूल
जो दहकते हैं आज भी
तुमने जिन्हें सींचा था अपने प्यार से,
आज भी मेरे बगी़चे में महकते हैं,
कैसे मिटा दूँ खुश्बू हवा से बताओ!
जानती हूँ खुश्बू का बसेरा नहीं।
उसे कहां बाँध सकूंगी मैं,
पर ये कोशिशें...नाकाम कोशिशें ...

गहरी बात ... कौन कहता है कोशिश कामयाब होती है ... पर फिर भी कोशिश करने का मन होता है .... उस खुश्बू को बाँधने का मन होता है ... बहुत लाजवाब ...

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar said...

मानोशी जी, काफ़ी दिनों बाद आपकी एक खूबसूरत और कोमल भावनाओं से परिपूर्ण रचना पढ़ना अच्छा लगा।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

ओह ...एक नाकाम सी कोशिश ...पर बहुत सुन्दर ...


कैसे मिटा दूँ खुश्बू हवा से बताओ!
जानती हूँ खुश्बू का बसेरा नहीं।
उसे कहां बाँध सकूंगी मैं,
पर ये कोशिशें...नाकाम कोशिशें!


सुन्दर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति

poonam said...

ati sunder...heart warming

रचना दीक्षित said...

बहुत लाजवाब सुन्दर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति

Pawan Kumar said...

और सुनो! वो लाल फूल
जो दहकते हैं आज भी
तुमने जिन्हें सींचा था अपने प्यार से,
आज भी मेरे बगी़चे में महकते हैं,
कैसे मिटा दूँ खुश्बू हवा से बताओ!
जानती हूँ खुश्बू का बसेरा नहीं।
उसे कहां बाँध सकूंगी मैं,
पर ये कोशिशें...नाकाम कोशिशें!
सच में बीती यादों के झरोखों से कोई बेहतरीन नज़्म खींच कर ब्लॉग के सफों पर बिछा दी आपने..... इतनी मासूनम नज़्म है की कुछ भी टिपण्णी क्लारते हुए दर सा लगता है....बहुत प्यार से तितली को पकड़ें तो भी रंग उतरने का खतरा तो रहता ही है..ठीक वैसे ही.....! खूबसूरत नज़्म का शुक्रिया !

उपेन्द्र नाथ said...

bahoot hi sunder aur bhavpurna kavita.......... very nice

upendra ( www.srijanshikhar.blogspot.com )

रंजना said...

भावपूर्ण सुन्दर अभिव्यक्ति....
मनमोहक सुन्दर ऐसी रचना जो मन को अपने प्रशन से बोझिल भी कर जाती है...

Anonymous said...

bahut hi behtareen rachna...
bahut khub.......badhai...
----------------------------------
मेरे ब्लॉग पर इस मौसम में भी पतझड़ ..
जरूर आएँ..

शरद कोकास said...

अच्छी कविता

अंजना said...

बहुत अच्छी कविता|