Sunday, June 17, 2012

हैप्पी फ़ादर्स डे

रोज़ रात एक कहानी होती थी। वही कहानियाँ रोज़-रोज़...हालूम खा, बैचाराम, और नीलकमल-लालकमल। हर रविवार हाथ पकड कर मैं जाती थी घूमने, बाज़ार, और वहाँ हर रोज़ मुझे मिलती थी मेरे हाथों मे एक बर्फ़ी, बस एक, मेरा ईनाम :) हर शाम मेरे साथ गाने के रियाज़ में वे तबले पर संगत करते थे मेरे साथ। और हर सुबह स्कूल ले जाते थे अपने स्कूटर पर...ठीक बिल्कुल गेट के सामने उतारते थे..."क्या आप मुझे दूर उस मोड़ पर नहीं उतार सकते? मैं अब बच्ची नहीं" पर वे कभी नहीं सुनते। दुनिया की हर ’स्पेलिंग’ उन्हें आती थी और जहान के सारे गणित के सवाल उनकी मुट्ठी में थे। आज भी उन्हें सब आता है...ऐसा कुछ नहीं जो वो न कर सकें...सच्ची!!! मेरा बचपन सबसे खूबसूरत बचपनों में से एक था...और पापा आपने बनाया उसे सुंदर...सबसे सुंदर...हैप्पी फ़ादर्स डे, पापा!

8 comments:

वाणी गीत said...

पितृ -दिवस की हार्दिक शुभकामनायें !

प्रवीण पाण्डेय said...

सुखद यादों का बोरा है बचपन..

M VERMA said...

हैप्पी फ़ादर्स डे

Chaitanyaa Sharma said...

हैप्पी फ़ादर्स डे....

सु-मन (Suman Kapoor) said...

Happy Fathers Day ...

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

पिता की याद ... सुंदर एहसास

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति..! सुप्रभात...!
आपका दिन मंगलमय हो....!

दिगम्बर नासवा said...

पिता की हसीन यादों के साथ पितृ दिवस मुबारक ...