पतझड़ की पगलाई धूप
भोर भई जो आँखें मींचे
तकिये को सिरहाने खींचे
लोट गई इक बार पीठ पर
ले लम्बी जम्हाई धूप
अनमन सी अलसाई धूप
पोंछ रात का बिखरा काजल
सूरज नीचे दबता आँचल
खींच अलग हो दबे पैर से
देह-चुनर सरकाई धूप
यौवन ज्यों सुलगाई धूप
फुदक फुदक खेले आँगन भर
खाने-खाने एक पाँव पर
पत्ती-पत्ती आँख मिचौली
बचपन सी बौराई धूप
खिल-खिल खिलती आई धूप
पतझड़ की पगलाई धूप
खाने-खाने एक पाँव पर
पत्ती-पत्ती आँख मिचौली
बचपन सी बौराई धूप
खिल-खिल खिलती आई धूप
पतझड़ की पगलाई धूप
(चित्र साभार: गूगल सर्च इमेज)
19 comments:
बेहद गज़ब रचना, वाह कमाल ही कर दिया।आगामी की प्रतीक्षा में....
संदीप
सुन्दरम्
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चाँद, बादल और शाम
गुलाबी कोंपलें
सुन्दर एहसास ..सुन्दर भाव लगे आपकी इस रचना के
अद्भुत रचना मानोशी जी...वाह...इसकी जितनी तारीफ की जाए कम है...लाजवाब.
नीरज
अद्भुत रचना मानोशी जी...वाह...इसकी जितनी तारीफ की जाए कम है...लाजवाब.
नीरज
पोंछ रात की बिखरी काजल
सूरज नीचे दबा था आंचल
खींच अलग हो दबे पैर से
देह आँचल सरकाई धूप
यौवन ज्यों सुलगाई धूप
bahut pyari pagli dhoop hai,sunder sunder rachana badhai.
उफ़ ....क्या कहूँ......बहुत दिनों बाद प्रकृति वर्णन पर इतनी सुन्दर रचना पढी मैंने..
बस.....निःशब्द कर दिया आपने....
शब्द चित्रण,बिम्ब विधान,प्रवाहमयता....सब अद्वितीय...!!!
शब्दों की तूलिका से आपने ऋतू को सजीव चित्रित कर दिया...वाह !!!
उफ़्फ़्फ़...अद्भुत है ये गीत
सारी तारिफ़ों से परे
अनमन सी अलसाई धूप
यौवन ज्यों सुलगाई धूप
पतझड़ की पगलाई धूप
...वाह !!!
aapne apni is rachna mein kamaal kar rakha hai .........iska pravaah aur shabdon ka sanjog bahut adbhud hai
मानसी जी ,
पूरा गीत बहुत बढ़िया है पर ये पंक्तियाँ कमाल की हैं ........
पोंछ रात का बिखरा काजल
सूरज नीचे दबा था आंचल
खींच अलग हो दबे पैर से
देह आँचल सरकाई धूप
यौवन ज्यों सुलगाई धूप
हेमंत
Bahut sundar.
~Jayant
अति सुंदर रचना है।
बधाई आप को।
~जयंत
पोंछ रात का बिखरा काजल
सूरज नीचे दबा था आंचल
खींच अलग हो दबे पैर से
देह आँचल सरकाई धूप
यौवन ज्यों सुलगाई धूप
अति सुंदर ...!!
भोर भई जो आँखें मींचे
तकिये को सिरहाने खींचे
लोट गई इक बार पीठ पर
ले लम्बी जम्हाई धूप
अनमन सी अलसाई धूप
खूबसूरत कल्पना संसार......धुप अक्सर अलसाई हुयी लगती है ऐसे ही
अद्भुद रचना, मज़ा आ गया
वाह..! वाह...!! वाह...!!! कोई दूसरा शब्द हो ही नहीं सकता इन कोमल सुन्दर भावों की सफल अभिव्यक्ति के लिए - वाह....!!!!
सुमन
बहुत कम शब्द में कहूँगा - लाजवाब, बेहतरीन
main to bauraa hi gayaa hun....pliz mujhe vaapas to lautaayiye.....!!
bahut hi sunder manoshi....bahut hi sunder bhaav, bimb aur kalpna,,,badhai ho!!
shailja
पतझड की पगलाई धूप....धूप निकलने का अहसास और इसमे बिखरे शब्द अति सुंदर
-प्रतिबिम्ब
www.merachintan.blogspot.com
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