Tuesday, January 13, 2015

कोशिशें

4 comments:

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar said...

मानोशी जी,
आपको ढेरोन बधाइयां और शुभकामनाएं। आपकी कविता आपके ही स्वर में सुनने का अनुभव अद्भुत रहा। पुनः बधाई।
हेमन्त

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar said...

पतझड़ की पगलाई धूप---आपके ही स्वरों में आज सुना। बहुत बढ़िया।

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar said...

मानोशी जी,
आपको ढेरोन बधाइयां और शुभकामनाएं। आपकी कविता आपके ही स्वर में सुनने का
अनुभव अद्भुत रहा। पुनः बधाई।
हेमन्त

कबीर कुटी - कमलेश कुमार दीवान said...

monoshi ji aapki kavita koshoshe suni bahut prabhavshali hai
thanks