जीवन बस अपना होता है,
अपने ही सँग जीना सीखो॥
जब-जब आशा के पौधोँ को
सींचा जिस ने बडे जतन से
फूल खिलेँगे, मोती देँगे,
सपना बोया बहुत लगन से,
माली ने निष्ठुरता से यूँ
अधखिलती कलियों को काटा
रँगहीन था रक्त बहा जो
क्या होती परवाह किसी को॥
नई-पुरानी छोटी-छोटी
आशाओं के बादल जोडे,
कहीं सितारा, कहीं चँद्रमा,
झिलमिल रातें, सपने तोड़े,
सोचा छू ले पँख लगा कर,
ऐसी आँधी चली अचानक
सावन बरसा पर तरसा कर
फिर से प्यासा रखा नदी को॥
हम हैं जो बुनते अनदेखे
सब आशंकाओं के जाले,
हम ही होते शत्रु स्वयं के
अपने से ही चलते चालें,
तेज़ धार में समझबूझ कर
दे देते पतवार नाव की,
गहरे जल के हिचकोलों में
दोषी ठहराते माझी को॥
जीवन बस अपना होता है,
अपने ही सँग जीना सीखो॥
अपने ही सँग जीना सीखो॥
जब-जब आशा के पौधोँ को
सींचा जिस ने बडे जतन से
फूल खिलेँगे, मोती देँगे,
सपना बोया बहुत लगन से,
माली ने निष्ठुरता से यूँ
अधखिलती कलियों को काटा
रँगहीन था रक्त बहा जो
क्या होती परवाह किसी को॥
नई-पुरानी छोटी-छोटी
आशाओं के बादल जोडे,
कहीं सितारा, कहीं चँद्रमा,
झिलमिल रातें, सपने तोड़े,
सोचा छू ले पँख लगा कर,
ऐसी आँधी चली अचानक
सावन बरसा पर तरसा कर
फिर से प्यासा रखा नदी को॥
हम हैं जो बुनते अनदेखे
सब आशंकाओं के जाले,
हम ही होते शत्रु स्वयं के
अपने से ही चलते चालें,
तेज़ धार में समझबूझ कर
दे देते पतवार नाव की,
गहरे जल के हिचकोलों में
दोषी ठहराते माझी को॥
जीवन बस अपना होता है,
अपने ही सँग जीना सीखो॥
6 comments:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (08-08-2015) को "ऊपर वाले ऊपर ही रहना नीचे नहीं आना" (चर्चा अंक-2061) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सटीक और सारगर्भित अभिव्यक्ति..बहुत सुन्दर गीत
bahut sundar geet hai 'bade jatan se sapne paale
bahut bahut sundar bhavabhivyakti
सुन्दर गीत
सुन्दर गीत
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