वैंक्यूवर की सुंदर वादियाँ छोड़ जाने का वक्त आ गया है। एक साल गुज़र गया। इस जगह को यादों में बसाये ज़िन्दगी के एक और मुक़ाम की ओर बढ़ रही हूँ...
इस फूलों के शहर से कुछ तस्वीरें--
इस फूलों के शहर से कुछ तस्वीरें--
बुचर्ट बगीचा, विक्टोरिआ
यहाँ के आदिवासियों की निराली कला, टोटम पोल
नाव से राजधानी विक्टोरिआ जाने की राह में
7 comments:
इतनी सुन्दर जगह क्यों छोड़ कर जा रहीं हैं
अकेले अकेले कहाँ जा रहे हो, हमें साथ ले लो जहाँ जा रहे हो
नई जगह में खुशनुमा दिन बीतने की शुभकामनायें।
एक गीत इन हसींन वादियों की तरफ़ से आपके लिए :
तुम को भी है ख़बर
मुझको भी है पता
हो रहा है जुदा
हम दोनो का रास्ता
दूर जाके भी मुझसे
तुम मेरी यादो मे रहना
कभी अलविदा ना कहना
कभी अलविदा ना कहना
अब नयी जगह पर जाकर, वहाँ के बारे में जल्दी से लिखिए।
बेहद खूबसूरत दृश्य हैं ! वाकई इतनी सुंदर जगह छोड़ के जाने का मन नहीं करता होगा ।
मानसी जी, देश से बिछडे हम हजारों भारतवासियों (खासतौर पर संगणक के क्षेत्र में)का हाल बंजारों जैसा है। आज इस बस्ती तो कल उस बस्ती, अपना तम्बू यहां गाडो, वहां से उखाडो, सतत् यायावर।
हमें तुम्हारे इतनी सुन्दर जगह छोड़नें का बिल्कुल भी अफ़सोस नहीं हो रहा । हमारे शहर से नज़दीक जो आ रही हो :-)
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