मेरा दिशा बोध अच्छा नहीं है बल्कि यूँ कहूँ कि दिशा बोध है ही नहीं तो भी शायद गलत न हो। किसी भी जगह जाने के लिये मुझे मेरे पति से ५ बार समझना पड़ता है जबकि वो एक बार कहीं जायें तो ज़िंदगी भर उस जगह का रास्ता नहीं भूलते। एक कोर्स करते वक्त हमें 'मल्टिपल इंटेलिजेन्स' के बारे में बताया गया। तब समझ आया कि वो स्पेशियली इंटेलिजेंट हैं अर्थात उनकी बुद्धि स्थानिक है। उन्हें मानचित्रों का अध्ययन करना अच्छा लगता है, चित्रों के माध्यम से वो अपनी बात ज़्यादा अच्छे से समझा सकते हैं, आदि।
मैंने पहले भी लिखा था कि हर बच्चा अलग तरीक़े से सीखता है। जो चीज़ उसे बार बार पढ़ने पर याद नहीं होती या समझ नहीं आती, हो सकता है उसे वही चीज़ सिर्फ़ सुन कर समझ में आ जाये। क्योंकि हर इंसान के सीखने की विधि अलग होती है। हर किसी की बुद्धि अलग तरह से काम करती है।
सर्वेक्षण से पता चलता है कि इंसान आठ तरह से बुद्धिमान हो सकता है। क्या आप फ़ोन पर बात करते वक्त कुछ आंका-बांका लिखते रहते हैं? तब आपका दिशा बोध ज़रूर अच्छा है क्योंकि आप मेरे पति की तरह 'स्पेशियली इंटेलिजेंट' हैं।
हावर्ड गार्डनर का बहु-बौद्धिक सिद्धांत आजकल शिक्षण के हर क्षेत्र में काम में लाया जा रहा है। हम शिक्षक हमेशा इस बात का खयाल रखते हैं कि हर बच्चे को उसकी 'इन्टेलिजेन्स' के हिसाब से परखा जाये कि उसने कितना सीखा। आप भी अगर अपने बच्चे की सीखने की विधि को जान जायेंगे तो उसे पढ़ाई में मदद कर पायेंगे।
ये आठ 'इंटेलिजेन्ट' लोग इस तरह से हैं
१) लाजिकल या तार्किक बुद्धि वाले (साइंटिस्ट, इन्जीनियर, कंप्यूटर के ज्ञानी, बैंकर आदि)
२)लिंगुइस्टिक या शाब्दिक बुद्धि वाले (जर्नलिस्ट, वक्ता, टीचर, कवि आदि)
३) स्पेशियल या स्थानिक बुद्धि वाले (कलाकार, डिज़ाइनर, आर्किटेक्ट, फोटोग्राफर आदि)
४)बाडिली-काइनेस्थेटिक या शरीर के अंगों ज़्यादा को काम में लाने वाले (नर्तक, अभिनेता, खिलाड़ी आदि)
५)म्यूज़िकल या संगीत की समझ वाले (गायक, डी.जे. आदि)
६)इन्टर्पर्स्नल या लोगों के साथ मिल कर काम काज करने में सक्षम (मानव संसाधन से जुड़े लोग, डाक्टर, शिक्षक, मनोवैज्ञानिक आदि)
७)इन्ट्रापर्सनल या खुद का जानकार(कोई भी जो अपने को समझता है, अकेले काम कर के आनंदित होता है)
८)नेचरलिस्ट या प्रकृति संबंधित काम करने में होशियार (जिसे प्रकृतिसे लगाव है, बोटनिस्ट, ज़ूओलोजिस्ट आदि)
आपको जब मालूम हो जाये कि आप किसे तरह के बुद्धिमान हैं तो उस तरह के उदाहरणों को काम में लाइये और सीखने की कोशिश कीजिये। जो भी आप समझना चाहते हैं उसे अपने इन्टेलिजेन्स के साथ जोड़ कर समझने की कोशिश कीजिये। उदाहरणार्थ अगर आप तार्किक बुद्धि वाले हैं तो किसी भी काम को समझने के लिये अंकों का प्रयोग कीजिये, समीकरणों का प्रयोग आदि आपको जल्दी सीखने में मदद करेगा। या संगीतिक बुद्धि के लिये शायद उस विषय संबंधी कोई गीत सुनिये या गीत लिखकर सुनिये आदि।
अब इस लिंक पर जाइये और पता लगाइये कि आप किस तरह के बुद्धिमान हैं। आप सबसे अच्छे से और जल्दी कैसे सीख सकते हैं? अपने बच्चे पर भी इस टेस्ट को कीजिये और उसे उस तरह से सीखने में मदद कीजिये।
आप किस तरह के बुद्धिमान हैं?
3 comments:
बहुत उम्दा जानकारी । वैसे हम हर् तरह के बुद्धिमान है :)यूँ हमें कभी कभी दिशा भ्रम हो जाता है ।और भी गलतियाँ होती हैं पर किउल मिलाकर हम आपकी सब केटेगरीज़ मे आते है जी।
अल्लेन बारबरा पीज की किताब "why men don listen, why women cant read maps" इस तरह के अध्ययन कू और किया गया एक व्यवस्थित प्रयास है. अगर आपने नही पढ़ा हो तो अवश्य पढिएगा.
"क्या आप फ़ोन पर बात करते वक्त कुछ आंका-बांका लिखते रहते हैं? तब आपका दिशा बोध ज़रूर अच्छा है"
ये बीमारी तो हमे भी है ....फिर भी इतना भटकाव क्यों है मन में ?may be i am the exception in this scenario......
Post a Comment