Thursday, August 14, 2008

दो लड्डू



सुबह सुबह सफ़ेद स्कूल की पोशाक में असेम्बली के लिये जमा हुये बच्चों की कतारों में कई मासूम ऊंची आवाज़ों की गूँज़, ’हम एक हैं, हम एक हैं, एक है अपना नारा, सारे जहाँ से अच्छा है हिन्दोस्तां हमारा" , तिरंगे के फ़हरने का इंतज़ार करती चुलबुली क़तारें, हवा में ऊँचे लहराते स्वतंत्र तिरंगे से रंगबिरंगे फूलों की वर्षा, राष्ट्र गान का समापन और उन नन्हें हाथों में दो लड्डू। कहाँ गये वो दिन....

६१वें स्वतंत्रता दिवस की सभी को शुभकामनायें।

6 comments:

Anil Pusadkar said...

aapko bhi swatantrata divas ki shubhkamnayen.Jhanda ooncha rahe humara

Anonymous said...

मिठाई का रुप बदल गया है अब बिस्कुट और टॉफी मिलती हैं। बच्चे उसी तनमयता से लपकते हैं। क्योंकि बच्चे हमेशा एक से रहते हैं।

Anonymous said...

मिठाई का रुप बदल गया है अब बिस्कुट और टॉफी मिलती हैं। बच्चे उसी तनमयता से लपकते हैं। क्योंकि बच्चे हमेशा एक से रहते हैं।

राजीव रंजन प्रसाद said...

आपको भी स्वाधीनता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें..


***राजीव रंजन प्रसाद

दिनेशराय द्विवेदी said...

आजाद है भारत,
आजादी के पर्व की शुभकामनाएँ।
पर आजाद नहीं
जन भारत के,
फिर से छेड़ें, संग्राम एक
जन-जन की आजादी लाएँ।

Udan Tashtari said...

स्वतंत्रता दिवस की बहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं.