Saturday, September 06, 2008

एक टुकु छोआँ लागे-रवीन्द्रसंगीत

आज एक दुस्साहस कर रही हूँ। गुरुदेव रवीन्द्रनाथ की रचनायें समझना बहुत कठिन लगता है मुझे। मगर जितना समझ आता है वो बहुत सुंदर होता है। मेरे एक प्रिय गाने का अनुवाद करने की कोशिश की है। छंद मे रह कर भाव के साथ न्याय करना, बहुत मुश्किल काम है। ये मेरा इस तरह का पहला प्रयास है। आगे भी और इस तरह के अनुवाद करने की इच्छा है।

http://www.youtube. com/watch? v=VGM-T5cME- 4

यहाँ जा कर आप इस रवीन्द्रसंगीत को सुन सकते हैं।

रवीन्द्र संगीत

एक टुकु छोआं लागे
एक टुकु कौथा शूनि
ताई दिये मोने मोने
रोची मोमो फाल्गुनी

किछू पौलाशेर नेशा
किछू बा चाँपाये मेशा
ताई दिये शूरे शूरे
रौंगे-रौशे जाल बुनी

जे टूकू काछे ते आशे
खनिकेर फाँके फाँके
चोकितो मोनेर कोने
श्वौपनेरछोबि आँके

जे टुकु जाये रे दूरे
भाबना काँपाये शूरे
ताई निये जाये बैला
नूपूरेरो ताल गूनी

अनुवाद:

स्थाई का भाव कुछ ऐसा है कि हल्की सी छुअन, थोड़ी सी बातें सुन कर मैंने अपने मन में बसंत को प्रवेश करने दिया है, वसंत (वसंत के भाव) रच रहा/रही हूँ। इसी आधार पर इस कविता का अनुवाद:


हल्की सी छुअन लगी
थोड़ी सी बातें सुनी
उन ही से मन में मेरे
रची मैंने फाल्गुनी


कुछ पलाश का नशा
कुछ चंपा गंध मिला
उन ही से सुर पिरोये
रंग ओ’ रस जाल बुने (स्वप्न जाल)


जो थोड़ा सा पास आते
क्षणों के बीच में से
चकित मन कोने में
स्वप्न के छवि बनाते

जो थोड़ी दूर भी जाते
भावना स्वर कँपाते
उन ही से दिन बिताये
नूपूर के ताल गिने


थोड़ी सी छुअन लगी...

6 comments:

पारुल "पुखराज" said...

kitney sundar bhaav hain....rabindra sangeet sun ney aur jaan ney ki kaafi ikshaa hai..aagey bhi post kijiye...

Sunil Deepak said...

मुझे बँगाली संगीत सुनना बहुत अच्छा लगता है पर शब्द कुछ ही समझ आते हैं. आप ने तो बिल्कुल पूरा प्रबंध किया, गीत के बँगला शब्द, उनका हिंदी में अर्थ और साथ में गीत को मूल भाषा में सुनने का मौका, आनंद आ गया. धन्यवाद.

Udan Tashtari said...

बहुत उम्दा प्रयास!!! आनन्द आया.

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-समीर लाल
-उड़न तश्तरी

Anonymous said...

बहुत सुन्दर गीत सुनवाया! अनुवाद बहुत अच्छा किया है। बधाई!

ravishndtv said...

बहुत सुंदर प्रयास है आपका। अब मेरे घर में यह ब्लाग रोज खुला करेगा।

siddheshwar singh said...

बहुत बढ़िया .आप ऐसे हॆ सुंदर रचनाओं से रू-ब-रू कराते रहें.
आनंद पाया.

(कभी फ़ुरसत मिले तो इस द्वारे भी आयें-http://karmnasha.blogspot.com )