मेरे ड्राइविंग के कि़स्सों का ज़िक्र कर चुकी हूँ पहले। तो अब तो मैं एक्सपर्ट हो चुकी हूँ (ये और बात है कि हाइवे से अभी भी डर लगता है और पति हों साथ तो कभी भूल से भी ड्राइविंग व्हील को हाथ नहीं लगाती)।
कल स्कूल के पार्किंग लॉट में मुड़ ही रही थी कि पीछे पुलिस की गाड़ी की भयानक "ढैं-ढैं" हार्न की आवाज़ से चौंकी। " हैं? क्या ये मेरे लिये है? मैंने क्या किया?" नियमानुसार तो मुझे उसी वक़्त गाड़ी दाहिनी तरफ़ खड़ी कर देनी चाहिये थी, मगर मैंने और थोड़ा आगे ले लिया और वह पुलिस की गाड़ी फिर " ढैं-ढैं" । मैंने गाड़ी रोक दी। और पुलिस वाला तेज़ी से गाड़ी से उतरा। मेरी तरफ़ तेज़ी से आया।
मैंने उससे पूछा, ( बिल्कुल चूहे जैसी आवाज़ में- स्क्वीक स्क्वीक)- " क्या बात है?"
पुलिस वाला कड़ी आवाज़ में बोला, " मैं जब आपको रोकने के लिये कह रहा था, तो आपने रोका क्यों नहीं?"
" स्क्वीक स्क्वीक- रोका तो...मुझे नहीं पता था कि आप मुझे रोक रहे थे, पर बात क्या है"
" आप स्टॉप साइन पर नहीं रुकीं थीं"
" (स्क्वीक स्क्वीक)- रुकी तो थी।
" आपको पता है कम्प्लीट स्टाप और रोलिंग स्टाप में फ़र्क़ है? आप को पूरी तरह रुकना था।"
"ह्म्म...रुकी तो थी...स्क्वीक..."
" अपना लाइसेंस दें"
"जी...मैं इतनी डर गई हूँ"
" डर क्यों गईं हैं?"
" आप ...मैं डर गई हूँ (स्क्वीक)" (लाइसेंस दिया)
"गाड़ी के पेपर्स दिखायें।"
"जी- आज ये मेरे पति की गाड़ी है, वह ही संभालते हैं सब, देखती हूँ"
(किसी तरह ढूँढते हुए वो पेपर्स मुझे मिले।)
"आप गाड़ी में बैठिये- मैं आपको कारर्वाही के डॉक्यूमेंट्स आप तक ला कर दूँगा।
"जी, ठीक है"
मेरी हालत ख़राब थी। जाने कितने का जुर्माना हो और ऊपर से अगर पाइंट्स कटे तो जाने इन्श्योरेंस कितना बढ़ जाये। उफ़! कहाँ फँस गई सुबह-सुबह।
पति को सेल पर फ़ोन किया- "सुनो, मझे न ट्रैफ़िक पुलिस ने पकड़ा है, कहता है, स्टाप साइन पर नहीं रुकी"
उन्होंने टिपिकली पति स्टाइल में कहा," मुझे पता था, तुम से मैंने पहले ही कहा था, ठीक से देख कर चलाया करो... यार! देखो अब कितने की फ़ाइन लगाता है"।
"क्या यार, मैं अभी परेशां हूँ..."
"ठीक है, परेशान हो कर क्या होगा, देखो क्या कहता है वो"
कोई १५-२० मिनट बाद वह पुलिस वाला निकला अपनी गाड़ी से और मेरी तरफ़ आया।
अचानक ही जैसे हृदय परिवर्तन हो चुका था उसका।
उसने कहा, (बड़े ही प्यार से)- देखिये, स्टॉप साइन पर पूरा रुकना पड़ता है। आप रोल कर रहीं थीं। इसके वैसे तो डेढ़ सौ डालर का जुर्माना और ३ पाइंट्स कटते हैं ,पर आपको आज मैं वार्निंग दे कर ही छोड़ रहा हूँ। आइंदा कभी आपने ये किया तो, फिर माफ़ी नहीं मिलेगी। "
मेरी जान में जान आई। मैंने कहा (अभी भी- स्क्वीक-स्क्वीक), " थैंक्यू सो मच"।
" और देखिये, जब पुलिस पीछे से आपको रोकने को कहे तो रुक जाते हैं, तभी उसी वक़्त"
" हाँ, पर मुझे समझ नहीं आया था कि आप मुझे रुकने को कह रहे थे"
"पर फिर भी, अगर वो आपके लिये नहीं होगा तो, पुलिस आगे बढ़ जायेगी, पर आपको रोकना ज़रूरी होता है"
" जी.... थैक्यू, फिर से"
और पुलिस वाला अपनी लाल-पीली बत्ती वाली भयानक गाड़ी घुमा कर चला गया।
बाद में सोचने पर लगा, शायद उसने मेरा ड्राविंग रिकार्ड क्लीन देख कर पहली ख़ता समझ कर माफ़ कर दिया हो, और स्कूल में अक्सर ही अभिभावकों की गाडि़याँ बहुत परेशान करती हैं , कई कम्प्लेन आते हैं, पर जब उसे पता चला हो कि मैं उसी स्कूल की टीचर हूँ, तो शायद थोड़ी नरमी से काम लिया हो उसने। चाहे जो भी हो, अब मैं उस स्टॉप साइन पर ज़रूरत से ज़्यादा समय रुकती हूँ, चाहे पीछे वाली गाड़ी हार्न मारे या कुछ भी करे, या वह पुलिस वाला आकर कहे कि स्टाप साइन पर इतनी देर नहीं रुकते मैडम।
10 comments:
अब किसी दिन ट्रेफिक इम्पेन्डिंग का टिकिट मिलेगा अगर इतना देर तक रुकोगी..:)
:)
हा ! हा!
रोचक दास्तान...और इस "स्क्वीक-स्क्वीक" में भी एक खास मानोशीया शायराना अंदाज है... :-)
संस्मरण अच्छा रहा!
आपके स्थान पर कोई पुरुष होता तो तगड़ा जुर्माना देना पड़ता!
वाह। फ़ाइन बचा तो ब्लॉग पर आये। :)
रोनी सूरत देख कर छोड़ दिया होगा। :)
arry kaise chor diya...... baal baal bach gayin
बहुत बढ़िया!
नया वर्ष स्वागत करता है , पहन नया परिधान ।
सारे जग से न्यारा अपना , है गणतंत्र महान ॥
गणतन्त्र-दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
गणतन्त्र-दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
Good experience sharing. How keenly you observe there. we are just left away by police once they see the seat belt are on.
Dilip
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