एक सपना जी रही हूँ
पारदर्शी काँच पर से
टूट-बिखरे झर रहे कण
विहँसता सा खिल रहा है
आँख चुँधियाता हर इक क्षण
कुछ दिनों का जानकर सुख
मधु कलश सा पी रही हूँ
एक सपना जी रही हूँ
वह अपरिचित स्पर्श जिसने
छू लिया था मेरे मन को
अनकही बातों ने फिर धीरे
से खोली थी गिरह जो
और तब से जैसे हाला
जाम भर कर पी रही हूँ
पारदर्शी काँच पर से
टूट-बिखरे झर रहे कण
विहँसता सा खिल रहा है
आँख चुँधियाता हर इक क्षण
कुछ दिनों का जानकर सुख
मधु कलश सा पी रही हूँ
एक सपना जी रही हूँ
वह अपरिचित स्पर्श जिसने
छू लिया था मेरे मन को
अनकही बातों ने फिर धीरे
से खोली थी गिरह जो
और तब से जैसे हाला
जाम भर कर पी रही हूँ
एक सपना जी रही हूँ
इक सितारा माथ पर जो
तुमने मेरे जड़ दिया था
और भँवरा बन के अधरों
से मेरे रस पी लिया था
उस समय के मदभरे पल
ज्यों नशे में जी रही हूँ
एक सपना जी रही हूँ
इक सितारा माथ पर जो
तुमने मेरे जड़ दिया था
और भँवरा बन के अधरों
से मेरे रस पी लिया था
उस समय के मदभरे पल
ज्यों नशे में जी रही हूँ
एक सपना जी रही हूँ
19 comments:
सपना जिया जाये या जीवन ही सपना बन जाये । क्या बात है ।
इक सितारा माथे पर जो
तुमने मेरे जड़ दिया था
और भँवरा बन के अधरों
से मेरे रस पी लिया था
उस समय के मदभरे पल
ज्यों नशे में जी रही हूँ
सुंदर अभिव्यक्ति, गंभीर विचार. सुंदर शब्द कविता
अच्छी मन को छूने वाली अभिव्यक्ति, बधाई।
वह तुम्हारा स्पर्श अजाना
जिसने छू लिया था मन को
अनकही बातों ने फिर धीरे
से खोली थी गिरह जो
और तब से जैसे हाला
जाम भर कर पी रही हूँ
waah kya baat hai...kitni saralta se khol dali man ki girah...
इक सितारा माथे पर जो
तुमने मेरे जड़ दिया था
और भँवरा बन के अधरों
से मेरे रस पी लिया था
उस समय के मदभरे पल
ज्यों नशे में जी रही हूँ
bahut khoob...madbhare pal kisi nashe se kam nahi hote..
मुग्ध करने वाली मधुरता है
आपका सुन्दर, सुखद, सलोना सपना अच्छा लगा!
सुन्दर मधुर गीत!
अच्छी मन को छूने वाली अभिव्यक्ति, बधाई।
से मेरे रस पी लिया था
उस समय के मदभरे पल
ज्यों नशे में जी रही हूँ
एक सपना जी रही हूँ
इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....
अच्छा लगा आपकी लेखनी से ये अंदाज़े-बयां भी...
"वह तुम्हारा स्पर्श अजाना
जिसने छू लिया था मन को
अनकही बातों ने फिर धीरे
से खोली थी गिरह जो
और तब से जैसे हाला
जाम भर कर पी रही हूँ"
सुंदर !
भावों का बहुत सुन्दर चित्रण
आपका ब्लॉग काफी दिन पहले देखा था। व्यस्तता के चलते पढ़ नहीं पाया। आज पढ़ा। वाकई बहुत अच्छा लगा। जिस तरह आपने अपने ब्लॉग्स की सज्जा की है वो भी बहुत मनमोहक है।
कला सीखी नहीं जा सकती। यह मन से उपजती है। आप की कलाप्रियता देखकर एक बात मैं आपके बारे में जान गया हूं। That you are blessed. Enjoy your life.
सुन्दर अभिव्यक्ति !
इक सितारा माथे पर जो
तुमने मेरे जड़ दिया था
और भँवरा बन के अधरों
से मेरे रस पी लिया था
उस समय के मदभरे पल
ज्यों नशे में जी रही हूँ.........
आपकी इस प्रस्तुति पर दस में दस अंक......
ekdum se hriday mein utar gayi yeh kavita...
bahut behtareen....
mere blog par bhi jaroor aayein...
tippani ka intzaar rahega,.....
बहुत सुन्दर भावों की बेहतरीन प्रस्तुति----
बहुत बढिया ..
ek sapna ji rahu hu ,behtar sabad chitra hai ,sundar bhav hai ,badhai.
or achchi rachnayen likhe.
kavita achhi lagi...dubaara padhne chal aaya....
mere blog par is baar..
वो लम्हें जो शायद हमें याद न हों......
jaroor aayein...
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