आशा जी द्वारा ये गज़ल सुनिये। बेहतरीन अदायगी-
यूँ न थी मुझसे बेरुख़ी पहले
तुम तो ऐसे न थे कभी पहले
जिसमें शामिल तुम्हारी मर्ज़ी थी
हमने चाही वही खु़शी पहले
हमने तुमसे यही तो सीखा था
दुश्मनी बाद दोस्ती पहले
जब तलक वो न था तो ऐ 'राही'
कितनी आसां थी ज़िंदगी पहले
--सईद राही
3 comments:
बेहतरीन गज़ल और उम्दा गायकी ।
हमने तुमसे यही तो सीखा था
दुश्मनी बाद दोस्ती पहले..kya baat hai
जब तलक वो न था तो ऐ 'राही'
कितनी आसां थी ज़िंदगी पहले..waah manoshi jee khush ho gaya...:)
" sach mey bhut dilkash hai"
Regards
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