अक्सर देखा गया है कि कई बार कक्षा में बच्चे किसी भी सवाल का जवाब देने से घबराते हैं और जवाब नहीं देते। शायद बच्चा किसी सवाल का जवाब जानता भी हो, तो भी सबके सामने घबराता हो। ऐसे में क्या किया जाये। आइये जानते हैं कुछ छोटे-छोटे गुर।
(वैसे हम सभी शिक्षक इन गुरों को जानते हैं व अपनाते हैं, मगर आज एक बार फिर):
१) बहुत ज़रूरी है कि कक्षा में वातावरण बहुत ही comfortable हो। बहुत ज़रूरी है कि बच्चे को ये अहसास हो कि उसका जवाब गलत होने पर भी उसे अपमानित नहीं होना पड़ेगा, पूरी कक्षा के सामने।
२) कक्षा में शुरु से ही शिक्षक अपने कक्षा के नियमों में ये शामिल रखे कि किसी भी बच्चे का किसी दूसरे बच्चे को नीचा दिखाना मान्य नहीं है। ऐसे कुछ पोस्टर कक्षा में लगाये जा सकते हैं जिसमें ये बातें लिखी हों और बार-बार कक्षा में दोहराई जायें।
३) अगर बच्चा जवाब देने से हिचकिचाता है तो उसे एक दो ’हिन्ट’ दिये जा सकते हैं। अगर वो फिर भी जवाब देने से घबराता है तो वो अपने पास के विद्यार्थी से अपने जवाब को verify (सत्यापित) सकता है, और अपने सहपाठी से पूछ कर (after discussing it with a partner) थोड़ी देर बाद बता सकता है।
सबसे अच्छा तरीका है कि सवालों को पूछने से पहले १०-१५ मिनट का समय दिया जाये कि बच्चे ग्रूप बना कर इन प्रश्नों को discuss कर लें। इसमें कोई हानि नहीं है, क्योंकि हमारा उद्देश्य बच्चे के सीखने से है, न कि वो किस से या कैसे सीखता है।
४) कभी भी बच्चे को उसके जवाब के ग़लत होने पर डाँटिये नहीं। सबके सामने तो कतई नहीं। अगर आप को लगता है कि बच्चा पढ़ाई से कतराता है, तो यक़ीन जानिये, डाँटने से वो पढ़ाई नहीं करने लग जायेगा, न ही परीक्षा में आये कम अंकों को देख कर। ज़रूरी है कि वो बच्चा प्रोत्साहित हो। उसके लिये नाना उपाय हैं। ज़रूरी है उसे सिर्फ़," वाह! अच्छा जवाब है" कह कर ही छोड़ न दिया जाये बल्कि, ये कहा जाये कि " वाह! अच्छा जवाब। मुझे ये बहुत अच्छा लगा जब तुमने कहा कि....फ़लां फ़लां। अगर तुम ये भी बताते कि....फ़लां फ़लां...तो तुम्हारा जवाब और अच्छा होता।" इस तरह बच्चे को न सिर्फ़ प्रोत्साहन मिलेगा बल्कि उसे ये भी पता होगा कि आप उसके जवाब में और क्या आशा करते हैं, जिससे उसे अच्छे अंक प्राप्त हों। अगर जवाब ठीक नहीं तो उसे किसी दूसरे बच्चे के सही जवाब को सुनने के बाद फिर से मौक़ा दिया जाये।
५) बच्चे को "right to pass" या " जवाब न देने का अधिकार भी हो। अगर उसे कोई जवाब नहीं आता है तो उसे पूरी कक्षा के सामने जवाब देने को बाध्य न कर के जवाब न देने के अधिकार का उपयोग करने का मौक़ा दें। हाँ, इस अधिकार का प्रयोग बच्चे को एक नियम के अनुसार करने दिया जाये, शायद कुछ ऐसा कि सारे दिन में सिर्फ़ तीन बार ही वो इस अधिकार का उपयोग कर सकेगा जिससे वो इस अधिकार का समझबूझ कर प्रयोग करे।
६) कक्षा में अक्सर ही ग्रूप में गतिविधियाँ हों। वरना बच्चे एक दूसरे से सीखने और सहभागिता, सहयोगिता का गुण कभी भी सीख नहीं पायेंगे। वहीं, शिक्षक को कक्षा में नियमों का रखना भी ज़रूरी है।
आज बस इतना ही। कभी और कुछ और कक्षा में अनुशासन के बारे में।
एक बहुत अच्छा कार्यक्रम है जिसे कक्षा में अपनाया जा सकता है, बहुत ही कारगर जिसे कहते हैं TRIBES. भारत में अभी पता नहीं शिक्षकों के लिये इस कोर्स को करने की सुविधायें उपलब्ध हैं या नहीं, मगर इस कोर्स को लेने के बाद, मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला और कुछ बेहद कारगर उपाय जाने जिन्हें अपना कर कक्षा में एक बेहतर तरीके से अनुशासन को लागु किया जा सकता है। http://www.tribes.com/
5 comments:
शायद नहीं निश्चित रूप से आपके लिखे में दम है ....... बच्चों के बारे में हमें निश्चित राय से ऊपर उठाना होगा !!
कुछ विस्तार से http://www.tribes.com/ के बारे में लिखें अपने अनुभव!!!
प्राइमरी का मास्टरफतेहपुर
कक्षा में पढ़ाने का मौका तो मिले!!! :)
सच लिखा है आपने...........स्कूल में ही बचों का विकास होता है...........टीचेर को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए
अपनी तनया को तो पक्का से मैं आपके स्कूल में भेजने वाला हूँ मानोशी
धन्यवाद मानोशी जी आपने बडे काम की जानकारी दी.आगे भी क्रपा करें.....
कोशिश करता हूं कि यहां आगरा में इसे आगे सही लोगों को पास-ऑन करूं
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