याद पिया की आये, ये दुख सहा न जाये...
सबसे पहले the authentic - बड़े गुलाम अली खां की आवाज़ में ...ये दर्द और कहाँ...
और एक नया तरीक़ा, रीमिक्स? मगर असरदार है- वडाली बंधु की आवाज़- निराला
फिर सुनिये उभरती हुईं- कौशिकी चक्रवर्ती की आवाज़- अब इतना बस चुके हैं बड़े गुलाम अली खां साहब जैसे लगती है बस उन्हीं की हो कर रह गई है ये ठुमरी, किसी और की आवाज़ में सुनना कुछ अजीब सा ही लगता है।
9 comments:
bahut khub
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
बहुत सुन्दर
सुनकर मन प्रसन्न हो गया
अभार
अनमोल संग्रह ...आभार ...!!
सुबह-सुबह मधुर संगीत सुनकर मन प्रसन्न हो गया!
आज की सुबह इस स्वर गंगा के नाम हुई...बेहतरीन पोस्ट...आपका बहुत बहुत आभार...
नीरज
wadali brothers ko sunNa hamesha hi bhaata hai...kaushiki ji ko sun nahin pa rahi hun...
UAE mein youtube aaj kal band hai.
खयाल अपना अपना और अंदाज़ भी अपना अपना...अच्छी पोस्ट के लिये आपका शुक्रिया।
abhivaadan
aur
aabhaar
वाह उस्तादों ...
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