बदलाव ज़िंदगी का एक तरीका है। तरीका ख़ुद-ब-ख़ुद उलझ जाने का और उलझ कर फिर खू़बसूरती से सुलझ जाने का। हर उलझाव के साथ खुलते हैं कुछ गिरह और हर सुलझाव ले आता है एक सवाल। जवाब के इंतज़ार में एक लंबे ख़ामोश पल के बाद पीछे दरवाज़ा बंद होता है। और फिर खुलता है एक नियम और हम बंध जाते हैं उस नये नियम में।
हाँ, ये भी ज़िंदगी का एक तरीका है...
जगजीत सिंह की आवाज़ का जादू...
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जीवन क्या है, चलता फिरता एक खिलौना है
दो आँखों में एक से हँसना एक से रोना है
चलते चलते राह में यूँ ही रस्ता मुड़ जाता है
अनजाने में अनजाने से रिश्ता जुड़ जाता है
किसे पता है किस रस्ते में कब क्या होना है
बीत गया जो वो हर पल आगे क्यों चलता है
राख हुये अंगारे कब के फिर भी दिल जलता है
भूली बिसरी यादों को अश्कों से धोना है
जो जी चाहे वो मिल जाये कब ऐसा होता है
हर जीवन जीवन जीने का समझौता होता है
अब तक जो होता आया है वो ही होना है
रात अंधेरी भोर सुनहरी यही ज़माना है
हर चादर में सुख का ताना दुख का बाना है
आती सांस को पाना जाती साँस को खोना है
7 comments:
सुन्दर।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
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shyamalsuman@gmail.com
आह!! आह!! अह!....क्या गज़ल सुना दी..अब दो दिन इसी मूड में गुजरेंगे... यूँ भी और काम क्या है!! :)
बहुत दिनों बाद सुना इसे...आनंद आ गया...शुक्रिया...
नीरज
वाह भाई वाह मज़ा आ गया..बहुत ही अच्छी रचना है....सुन कर भी अच्छा लगा....
लाजवाब है...........हर शेर मधुर.............बस सुनते रहो........शुक्रिया
bahut sunder
बहुत ही मधुर व कर्णप्रिय
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