जिस मोड़ पर ठहरे हो, वहाँ से दो रास्ते हैं, एक लौट जाता है पीछे और एक ठहर जाता है। आगे नहीं जाता। ठहर कर पीछे मत देखो, आगे देखोगे तो भी पीछे देखना होगा। बस ठहरे रहो। हवा उड़ा ले जायेगी तो चले जाना, हवा के साथ। पर तब भी मत देखना पीछे। वो तुम नहीं थे, हवा थी जो गई, तुम तो अभी भी ठहरे रहोगे, वहीं। किसी का हाथ पकड़ कर नहीं, अपना हाथ पकड़ कर रहो, वो तुम्हारे साथ था तो वहीं होगा, अपने मोड़ पर ठहरा हुआ, पीछे वो भी नहीं देखता होगा, आगे भी नहीं, बस वहीं, जहाँ है। प्रेम विश्वास है, स्थिरता, और कुछ नहीं।
आइये सुनें ये सुंदर गज़ल, जगजीत की आवाज़ में।
5 comments:
waah khoobsoorat gazal...
..बहुत सुंदर
खूब सुनी है यह गज़ल ! बेहतरीन गायकी ! आभार ।
सुनकर अच्छा लगा!
सही दर्शन और सुन्दर गायन ।
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